पांच दिनों तक जलते रहे दक्षिणी सीरिया के स्वेदा शहर में अब शांति की उम्मीद जगी है. गोलियों और धमाकों की आवाजों के बीच बुधवार रात वो खबर आई, जिसका इंतज़ार इलाके के हर घर में हो रहा था- सीरियाई सेना ने पीछे हटना शुरू कर दिया है.
आखिरकार थमा टकराव, युद्धविराम पर बनी सहमति
स्वेदा एक ऐसा शहर है, जहां ड्रूज समुदाय बहुसंख्यक है. हालिया झड़पों में हालात इतने बिगड़ गए कि सरकार और स्थानीय समुदाय आमने-सामने आ गए. लेकिन बुधवार को सरकार और ड्रूज नेताओं के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी. इसके बाद सेना की वापसी का ऐलान हुआ और रात 9 बजे के करीब सैनिकों ने निकलना शुरू कर दिया.
सरकारी बयान के मुताबिक, अब स्थानीय ड्रूज सुरक्षा बलों को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी, जबकि राज्य की पुलिस इकाइयाँ इलाके में मौजूद रहेंगी, लेकिन वे स्थानीय फोर्स के साथ समन्वय में काम करेंगी.
संघर्ष की जड़ क्या थी?
इस हिंसा की चिंगारी तब भड़की जब कुछ बेडौइन बंदूकधारियों ने स्वेदा के युवाओं को लूट लिया. इसके जवाब में ड्रूज समुदाय ने कई बेडौइन जनजातीय लोगों को बंधक बना लिया. माहौल तनावपूर्ण हो गया और सरकारी सेना ने शहर में घुसकर हालात काबू करने का दावा किया. लेकिन रिपोर्टों में आरोप है कि सेना ने भी टकराव में पक्षपात किया और ड्रूज नागरिकों पर हमले किए. ड्रूज धर्मगुरुओं और नेताओं ने इसे सिर्फ संघर्ष नहीं, बल्कि ‘नरसंहार का अभियान’ करार दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल की अपील की.
इजरायल का दखल और हवाई हमले
यहीं से कहानी में आया एक बड़ा मोड़. इजरायल ने ड्रूज अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए सीरिया पर ताबड़तोड़ हवाई हमले शुरू कर दिए. इन हमलों में सिर्फ सीमा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि दमिश्क स्थित सैन्य मुख्यालय और एक न्यूज चैनल का स्टूडियो भी निशाना बना. रिपोर्ट के मुताबिक, 160 से ज़्यादा हवाई हमले किए गए, जिनका लाइव प्रसारण सीरियाई टीवी पर भी किया गया. इजरायल का यह हस्तक्षेप सीरियाई सरकार को बिल्कुल रास नहीं आया.
राष्ट्रपति अल-शरा का तीखा बयान
सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने इजरायल पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा- “इजरायल हमारी धरती को अराजकता में झोंकना चाहता है. मगर हम इस मिट्टी के बेटे हैं. ड्रूज लोगों को नुकसान पहुंचाने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा. उनकी रक्षा करना हमारी पहली प्राथमिकता है.” उन्होंने यह भी साफ किया कि ड्रूज समुदाय को नुकसान पहुंचाने वाले सैन्य और मिलिशिया समूहों की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग गठित किया जाएगा.
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