दिल्ली-NCR के निवासियों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है. बीते दिनों की खराब वायु गुणवत्ता के कारण जहां सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था, वहीं अब हालात में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल रहा है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने इसी सुधार को देखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है. आयोग ने ग्रैप (GRAP) के पहले चरण के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. यह फैसला तब आया है जब दिल्ली और एनसीआर के अन्य इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में हल्की गिरावट दर्ज की गई है.
क्या है GRAP और क्यों लागू होता है?
ग्रैप यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक विशेष रणनीति है, जो प्रदूषण के स्तर के हिसाब से चरणबद्ध तरीके से लागू होती है. इसका मकसद है कि जब भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचे, तो समय रहते उपाय किए जा सकें. GRAP स्टेज-1 तब लागू किया जाता है जब AQI 201 से 300 के बीच पहुंचता है, जिसे ‘खराब’ माना जाता है. इस स्टेज के तहत निर्माण और विध्वंस कार्यों को नियंत्रित किया जाता है, गाड़ियों की ट्यूनिंग व प्रदूषण जांच पर ज़ोर दिया जाता है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्रोत्साहन दिया जाता है.
प्रदूषण क्यों बढ़ा था?
15 मई को आई धूलभरी आंधी ने दिल्ली की हवा को बेहद खराब बना दिया था. इसके बाद 16 मई की सुबह तक औसतन AQI 305 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है. इसी के चलते 17 मई को GRAP-1 के तहत कड़े नियम लागू किए गए थे.
अब क्यों हटाया गया GRAP-1?
वायु गुणवत्ता में आई गिरावट के बाद अब कुछ सुधार दिखा है, और AQI ‘खराब’ की सीमा से नीचे आने लगा है. इसी को ध्यान में रखते हुए CAQM की सब-कमेटी ने पूरे एनसीआर क्षेत्र में GRAP स्टेज-1 को रद्द करने का निर्णय लिया. इसका मतलब है कि अब निर्माण कार्यों पर लगा आंशिक प्रतिबंध हट जाएगा और लोगों की सामान्य दिनचर्या पर से कुछ बंदिशें कम हो जाएंगी.
क्या अभी भी सावधानी ज़रूरी है?
बिलकुल. हालात भले ही थोड़े सुधरे हों, लेकिन गर्मियों में धूल और तात्कालिक मौसमीय प्रभावों के कारण प्रदूषण फिर बढ़ सकता है. ऐसे में गाड़ियों का पीयूसी सर्टिफिकेट अपडेट रखना, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाना और अनावश्यक प्रदूषण से बचना अब भी ज़रूरी है.
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