GST reforms: क्या रोज़मर्रा की चीजें सस्ती होंगी? क्या कारोबारियों का टैक्स झंझट कम होगा? और क्या स्टार्टअप्स के लिए नियम आसान बनाए जाएंगे?—इन सभी सवालों का जवाब है हाँ, अगर सरकार की नई योजना पर GST काउंसिल मुहर लगा देती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में अगली पीढ़ी के लिए एक खास वादा किया. उन्होंने कहा कि GST को लागू हुए 8 साल पूरे हो चुके हैं, और अब इसे और सरल और प्रभावी बनाने का समय है. इसी दिशा में सरकार ने तीन बड़े सुधारों की रूपरेखा तैयार की है, जिसे मंत्रियों के समूह (GoM) के पास भेजा गया है.
GST सुधारों के तीन बड़े पिलर
स्ट्रक्चरल बदलाव
कुछ सेक्टर्स में टैक्स स्ट्रक्चर उलझा हुआ है, जिससे कैलकुलेशन मुश्किल हो जाता है. इसे ठीक कर दिया जाएगा. इससे टैक्स विवाद कम होंगे और कारोबारियों के लिए नियमों का पालन आसान होगा.
टैक्स दरों का रेशनलाइजेशन
सरकार का प्लान है कि टैक्स स्लैब्स को कम करके सिर्फ दो मुख्य स्लैब, स्टैंडर्ड और मेरिट रखे जाएं. रोज़मर्रा की जरूरत की चीजों और जरूरी सामानों पर टैक्स दर घटाई जाएगी. यानी आम आदमी की जेब पर कम बोझ और बाजार में ज्यादा रौनक.
ईज़ ऑफ लिविंग (Ease of Living)
स्टार्टअप्स के लिए रजिस्ट्रेशन आसान किया जाएगा, टैक्स रिटर्न प्री-फिल्ड आएंगे और रिफंड प्रक्रिया तेज होगी. मतलब छोटे कारोबार और MSMEs का समय भी बचेगा और लागत भी.
आम जनता और कारोबारियों को होगा ये फायदा
घरेलू सामान सस्ते होंगे, टैक्स दरें कम होने से.
टैक्स क्रेडिट की दिक्कत घटेगी, उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.
नियम आसान होंगे, विवाद कम होंगे और योजना बनाना आसान होगा.
खरीदारी बढ़ेगी, लोग ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था तेज़ होगी.
स्टार्टअप्स और छोटे कारोबारियों को सहूलियत, आसान रजिस्ट्रेशन और तेज रिफंड से.
सरकार का दावा है कि इन सुधारों के लागू होते ही GST और भी पारदर्शी, स्थिर और लोगों के लिए आसान टैक्स सिस्टम बन जाएगा.
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