गोवा के शिरगांव में आयोजित पारंपरिक और श्रद्धा से भरपूर श्री लैराई जात्रा उत्सव इस बार एक भयावह हादसे का गवाह बन गया. भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. घायलों को तात्कालिक रूप से गोवा मेडिकल कॉलेज (GMC) और नॉर्थ गोवा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, मापुसा में भर्ती कराया गया है.
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बनी हादसे की वजह
श्री लैराई जात्रा, गोवा का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है जिसमें हर साल हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. इस बार भी बड़ी संख्या में लोग शिरगांव पहुंचे थे. लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या अनियंत्रित हो गई और एकाएक भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. अफरा-तफरी के माहौल में कुछ लोग जमीन पर गिर पड़े और कुचले गए, जिससे दर्दनाक हादसा हो गया.
मुख्यमंत्री ने पहुंचकर ली हालात की जानकारी
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नॉर्थ गोवा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और बिचोलिम अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने घायलों से मुलाकात की, इलाज की स्थिति की समीक्षा की और अधिकारियों को हर संभव चिकित्सीय सुविधा तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
जांच के आदेश, भीड़ प्रबंधन पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण को लेकर प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं. सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आयोजन के दौरान इतनी बड़ी चूक कैसे हुई.
लैराई देवी: शक्ति और श्रद्धा की प्रतीक
लैराई देवी को गोवा और विशेष रूप से शिरोडा गांव में एक पूजनीय देवी के रूप में माना जाता है. उनके मंदिर में साल भर श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए आते हैं, लेकिन चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में होने वाली जात्रा के दौरान यहां विशेष उत्साह देखने को मिलता है.
अग्निपरीक्षा की परंपरा: आस्था का चरम
लैराई जात्रा की सबसे अनोखी और चर्चित परंपरा है अग्नि पर चलने का अनुष्ठान, जिसमें श्रद्धालु, जिन्हें ‘धोंड’ कहा जाता है, जलते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं. यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, समर्पण और विश्वास की पराकाष्ठा मानी जाती है. इस विशेष अग्नि-व्रत से पूर्व धोंड उपवास, ध्यान और मानसिक तैयारी करते हैं, जो उनके आंतरिक आत्मबल और संयम को दर्शाता है.
शोभायात्रा और सांस्कृतिक आयोजन
जात्रा के दौरान देवी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें पारंपरिक संगीत, मंत्रोच्चार और ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच भक्तगण देवी को प्रसाद अर्पित करते हैं. यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव भी होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और पर्यटक हिस्सा लेते हैं.