Gautam Adani Loan: भारत के दो सबसे बड़े उद्योगपतियों गौतम अडानी और मुकेश अंबानी ने एक बार फिर वैश्विक फाइनेंशियल बाजारों से भारी-भरकम लोन जुटाकर कारोबारी हलचलें तेज़ कर दी हैं. जहां एक ओर अडानी ग्रुप ने डीबीएस ग्रुप होल्डिंग्स से 150 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,290 करोड़) का कर्ज लिया है.
अडानी पोर्ट्स ने लिया नया लोन
गौतम अडानी की कंपनी Adani Ports and Special Economic Zone ने सिंगापुर की बैंकिंग दिग्गज DBS Group Holdings से यह लोन चार वर्षों के लिए उठाया है. यह कर्ज Secured Overnight Financing Rate (SOFR) के 200 बेसिस पॉइंट्स पर आधारित है, जिसकी कुल लागत हेजिंग सहित करीब 5.5% बताई जा रही है. यह रकम कंपनी द्वारा भविष्य के कैपिटल एक्सपेंडिचर (CapEx) में खर्च की जाएगी — यानी यह धनराशि किसी मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने या नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए इस्तेमाल होगी. हालांकि, अडानी समूह और डीबीएस बैंक दोनों ने इस सौदे पर औपचारिक टिप्पणी से परहेज किया है.
पिछले लोन और ग्रुप की रणनीति
यह पहली बार नहीं है जब अडानी ग्रुप ने बड़े स्तर पर फंडिंग की है. पिछले महीने ही कंपनी ने एक निर्माण फर्म के अधिग्रहण के लिए $750 मिलियन (करीब ₹6,447 करोड़) का लोन लिया था. इसके अतिरिक्त, ग्रुप एयरपोर्ट कारोबार के विस्तार के लिए भी बार्कलेज, फर्स्ट अबू धाबी बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय बैंकों से वित्तीय बातचीत कर रहा है. 2024 में सामने आए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह लोन डील्स यह संकेत देती हैं कि समूह धीरे-धीरे ऋणदाताओं का विश्वास दोबारा हासिल कर रहा है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का रिकॉर्ड ब्रेकर लोन
वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, जो भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी है, ने $2.9 अरब (₹25,000 करोड़) का विदेशी कर्ज उठाकर सुर्खियां बटोरी हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह डील 55 अंतरराष्ट्रीय बैंकों के सिंडिकेट के माध्यम से पूरी हुई — जो न सिर्फ भारत बल्कि एशिया की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट लोन डील बन गई है. इस लोन को दो भागों में विभाजित किया गया है. पहला भाग: $2.4 अरब, दूसरा भाग: 67.7 अरब येन (लगभग $462 मिलियन) है. इस सौदे को 9 मई को अंतिम रूप दिया गया.
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