जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच चुका है. आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है. भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह अब आतंकवाद को लेकर सख्ती से पेश आएगा और कूटनीतिक, सामरिक और जल-नीति के हर मोर्चे पर ठोस कदम उठाएगा.
पाक के इन शहरों में बाढ़ जैसे हालात
भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद अब जल प्रबंधन के अपने अधिकारों का प्रभावी उपयोग शुरू कर दिया है. वहीं अब चिनाब नदी पर बने बगलिहार जलविद्युत परियोजना के गेट बंद कर बहाव को नियंत्रित किया गया, जिससे पाकिस्तान में चिनाब का प्रवाह घटकर 90 प्रतिशत तक कम हो गया था. वहीं, अब खबर है कि भारत ने अचानक चिनाब में भारी मात्रा में पानी छोड़ा, जिससे पाकिस्तान के लाहौर, सियालकोट और पंजाब प्रांत के कुछ हिस्सों में बाढ़ की चेतावनी जारी करनी पड़ी.
भारत के एक्शन से पाकिस्तान हुआ कन्फ्यूज
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रामबन स्थित बांध के गेट बंद होने के बावजूद कुछ मात्रा में जल प्रवाह जारी है, जिससे पाकिस्तान असमंजस में है. विशेषज्ञ इसे ‘हाइड्रो-पॉलिटिक्स’ यानी जल-राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें भारत अपने संसाधनों के उपयोग से पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है. पाकिस्तान की स्थिति और भी जटिल हो गई है क्योंकि वह खरीफ फसल के मौसम में प्रवेश कर चुका है. पाकिस्तान के सिंधु नदी प्राधिकरण (IRSA) ने बताया कि शुरुआती खरीफ सीजन में 21 प्रतिशत तक पानी की कमी देखी जा सकती है. अगर चिनाब का जलस्तर जल्द सामान्य नहीं हुआ, तो इस संकट के और गहराने की आशंका है.
भारत की ओर से किए जा रहे इन कदमों ने पाकिस्तान की रणनीतिक और जल प्रबंधन व्यवस्था को उलझन में डाल दिया है. न तो वह सिंधु जल समझौते का उल्लंघन कहकर मामला उठा पा रहा है, और न ही खुद को कार्रवाई के लिए तैयार पा रहा है. हालांकि पाकिस्तान ने कुछ समय पहले शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इसके बजाय, उसकी ओर से लगातार परमाणु हमले की गीदड़भभकी मिल रही हैं, जो उसकी घबराहट का संकेत मानी जा रही हैं.
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