सीमा पर तैनात होगा PM मोदी की सिक्योरिटी में शामिल ये डॉग, क्यों है इस इंडियन ब्रीड की इतनी डिमांड?

    जहां एक ओर जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर और बेल्जियन मेलिनोइस जैसी विदेशी नस्लें भारतीय सेना की वीरता में अहम योगदान देती आई हैं, वहीं अब देसी कुत्ते भी इनकी बराबरी कर रहे हैं. इन देसी कुत्तों में सबसे खास नाम मुधोल हाउंड का है.

    Faster than a German Shepherd the Mudhol Hound will now be deployed at the border
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    जहां एक ओर जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर और बेल्जियन मेलिनोइस जैसी विदेशी नस्लें भारतीय सेना की वीरता में अहम योगदान देती आई हैं, वहीं अब देसी कुत्ते भी इनकी बराबरी कर रहे हैं. इन देसी कुत्तों में सबसे खास नाम मुधोल हाउंड का है, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सीमा सुरक्षा और अन्य खतरनाक मिशनों में तैनात किया जा रहा है.

    मुधोल हाउंड: भारत का तेज़ और वफादार साथी

    मुधोल हाउंड, जिसे कारवानी हाउंड भी कहा जाता है, भारत के कर्नाटक और महाराष्ट्र क्षेत्र का एक प्राचीन और परिष्कृत कुत्तों की नस्ल है. ये कुत्ते अपनी तेज़ गति, खतरनाक शिकार की क्षमता और अत्यधिक वफादारी के लिए प्रसिद्ध हैं. मुधोल हाउंड का शरीर लंबा, पतला और फुर्तीला होता है, और यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसकी सूंघने की क्षमता भी अविश्वसनीय है, जो उसे जर्मन शेफर्ड से कहीं अधिक तेज और सक्षम बनाती है.

    मुधोल हाउंड क्यों है यह इतना खास?

    मुधोल हाउंड की सबसे बड़ी ताकत उसकी स्पीड और सूंघने की क्षमता है. यह कुत्ता 3 किलोमीटर से अधिक दूर से किसी वस्तु की गंध पहचान सकता है. इसकी शिकार करने की गहरी वृत्ति और मजबूत जबड़ों के कारण यह किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मन शेफर्ड को किसी कार्य को पूरा करने में 90 सेकंड का समय लगता है, वहीं मुधोल हाउंड वही कार्य मात्र 40 सेकंड में कर सकता है. इसके अलावा, ये कुत्ते हुमानाइड्स की गंध से लेकर ड्रग्स और विस्फोटकों तक की पहचान कर सकते हैं.

    मुधोल हाउंड का ऐतिहासिक महत्व

    मुधोल हाउंड का इतिहास बहुत पुराना और रोचक है. यह कुत्ता दक्कन के राजाओं के शिकार पर साथ जाता था और शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी की जान भी इस कुत्ते ने बचाई थी. कहा जाता है कि मुधोल कुत्तों को शिवाजी महाराज का बहुत प्यार था और उन्होंने इन्हें अपनी सेना में शामिल किया था. कर्नाटक के मुधोल राज्य के राजा मालोजी राव ने इस कुत्ते की नस्ल को विकसित किया था, और बाद में एक जोड़ा ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम को उपहार में दिया गया, जिससे इस नस्ल की प्रसिद्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल गई.

    प्रधानमंत्री मोदी का योगदान और सराहना

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग पांच साल पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मुधोल हाउंड की तारीफ की थी. उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में प्रमोट किया और इस देसी कुत्ते की अद्वितीयता को उजागर किया. उनकी सराहना ने इस कुत्ते की नस्ल को और भी लोकप्रिय बना दिया है.

    मुधोल हाउंड की सीमा सुरक्षा में अहम भूमिका

    अब मुधोल हाउंड सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में ही नहीं, बल्कि भारतीय सीमा की रक्षा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) ने इन कुत्तों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है और इन्हें सीमा पर तैनात किया जाएगा, जहां ये न केवल विस्फोटकों और ड्रग्स की पहचान करेंगे, बल्कि गुमशुदा व्यक्तियों और संदिग्धों को खोजने में भी मदद करेंगे.

    मुधोल हाउंड की तैनाती से यह साबित होता है कि देसी नस्लों के कुत्तों की भी उतनी ही अहमियत है, जितनी कि विदेशी नस्लों की. इन कुत्तों का योगदान भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अनमोल है और भविष्य में ये और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

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