बिहार में बिछेगा एक्सप्रेसवे का जाल, इन जिलों को होगा फायदा; देखें लिस्ट

    Expressway In Bihar: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद राज्य में जनहित और बुनियादी ढांचे के विकास को सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता दी जा रही है. पिछले कुछ महीनों में सरकार ने कानून-व्यवस्था, सड़क और परिवहन, ऊर्जा और औद्योगिक विकास समेत कई क्षेत्रों में तेजी से पहल की है. 

    Expressway network will be laid in Bihar these districts will benefit see list
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    Expressway In Bihar: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद राज्य में जनहित और बुनियादी ढांचे के विकास को सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता दी जा रही है. पिछले कुछ महीनों में सरकार ने कानून-व्यवस्था, सड़क और परिवहन, ऊर्जा और औद्योगिक विकास समेत कई क्षेत्रों में तेजी से पहल की है. 

    इसी कड़ी में पथ निर्माण विभाग ने राज्य में पांच बड़े एक्सप्रेसवे और कई मेगा सड़क परियोजनाओं पर काम शुरू करने की तैयारी को गति दे दी है.

    पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे से बिहार का बदलता सड़क नेटवर्क

    राज्य के लिए स्वीकृत पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार का सड़क और अंतरराज्यीय संपर्क पूरी तरह बदल जाएगा. इन एक्सप्रेसवे का उद्देश्य न केवल राज्य के अंदरूनी और बाहरी कनेक्टिविटी को बेहतर करना है, बल्कि औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करना है.

    • वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे: इस मार्ग पर काम पहले से जारी है और यह एक्सप्रेसवे राज्य के पूर्वी जिलों को प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों से जोड़ता है.
    • पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे: राज्य के उत्तरी हिस्से को राजधानी से जोड़ने वाला यह मार्ग व्यापार और परिवहन दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
    • रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे: यह मार्ग भारत-नेपाल व्यापार के लिए रणनीतिक महत्व रखता है और बिहार को बंगाल की खाड़ी तक सीधे जोड़ता है.
    • गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: उत्तर बिहार और पड़ोसी राज्यों के व्यापारिक संपर्क को मजबूत करने वाला यह मार्ग भी तैयार हो रहा है.
    • बक्सर-भागलपुर कॉरिडोर: राज्य के पश्चिम और पूर्वी हिस्सों को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे राज्य की लॉजिस्टिक क्षमता बढ़ाएगा.

    इन पांचों एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 1,626 किलोमीटर होगी. इनके पूरा होने के बाद न केवल बिहार के सड़क नेटवर्क में सुधार होगा, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों को भी नया आयाम मिलेगा.

    चुनाव से पहले स्वीकृत परियोजनाओं पर भी जोर

    नई सरकार ने केवल नए प्रोजेक्ट ही नहीं, बल्कि चुनाव से पहले केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत कई महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी है. इसमें साहेबगंज-अरेराज-बेतिया कॉरिडोर और मोकामा-मुंगेर सड़क परियोजना शामिल हैं. पथ निर्माण विभाग ने इन परियोजनाओं को अपनी प्रमुख कार्यसूची में शामिल कर लिया है और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बनाई गई है.

    गंगा किनारे बनने वाले दो बड़े सड़क प्रोजेक्ट

    सरकार की योजनाओं में गंगा के किनारे दो महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो बिहार में लॉजिस्टिक और यातायात सुविधा को बढ़ावा देंगी.

    मुंगेर-भागलपुर गंगा पथ: यह परियोजना लगभग 82.8 किलोमीटर लंबी है और इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा.

    पहला चरण: मुंगेर से सुल्तानगंज (42 किमी), अनुमानित लागत 5,120 करोड़ रुपये.

    दूसरा चरण: सुल्तानगंज से सबौर (40.08 किमी), अनुमानित लागत 4,850 करोड़ रुपये.
    इस परियोजना में गंगा के किनारे फोरलेन सड़क का निर्माण होगा और कई अंडरपास भी शामिल होंगे.

    पटना गंगा पथ का कोईलवर तक विस्तार: इस परियोजना की कुल लंबाई 35.65 किलोमीटर होगी और इसकी लागत लगभग 6,000 करोड़ रुपये आंकी गई है. इस योजना में 18 किलोमीटर एलिवेटेड रोड शामिल होगी. सरकार ने इस परियोजना को अपनी उच्च प्राथमिकताओं में रखा है और अगले महीने से निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी है.

    भविष्य की दिशा और आर्थिक महत्व

    इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बिहार का सड़क नेटवर्क राज्य के अंदर और बाहरी राज्यों से जुड़ेगा, जिससे परिवहन समय में कमी आएगी और माल एवं लोगों की आवाजाही आसान होगी. इसके अलावा, यह परियोजनाएं राज्य में निवेश और औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहित करेंगी. गंगा किनारे बनने वाले पथ और एक्सप्रेसवे बिहार की लॉजिस्टिक क्षमता को बढ़ाएंगे और राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों को भी बड़े बाजारों से जोड़ेंगे.

    विशेषज्ञ मानते हैं कि इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बिहार में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, क्योंकि निर्माण और लॉजिस्टिक क्षेत्र में कई नए पद सृजित होंगे. इसके अलावा, बेहतर सड़क नेटवर्क से राज्य में पर्यटन और व्यापार के अवसर भी बढ़ेंगे.

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