Who is Savita devi: कहते हैं, मेहनत और ईमानदारी अगर इरादे में हो तो किस्मत भी एक दिन सलामी देती है. कुछ ऐसी ही सच्चाई को जीया है बिहार के पटना जिले की मसौढ़ी की रहने वाली सविता देवी ने, जिन्हें 15 अगस्त की संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ रात्रिभोज का आमंत्रण मिला है. कभी दो वक़्त की रोटी के लिए जूझने वाली सविता देवी आज पूरे बिहार के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
राष्ट्रपति भवन से आमंत्रण पत्र मिलना उनके जीवन के उस अध्याय की शुरुआत है, जो संघर्ष से भरा रहा, लेकिन उम्मीद से कभी खाली नहीं रहा. सविता देवी का जीवन किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं रहा. शादी से पहले डॉक्टर की लापरवाही से एक आंख की रोशनी चली गई. इसके बाद उनकी शादी एक साधारण परिवार में हुई. पति मजदूरी करते थे और कच्चे मकान में मुश्किल हालातों के बीच परिवार पलता था. बच्चों को शिक्षा देने की इच्छा थी, लेकिन साधन नहीं थे.
वक्त बदला, बेटा बड़ा हुआ और थोड़ा स्थिरता आई, लेकिन तभी जीवन ने एक और करवट ली, पति का साथ छूट गया. फिर भी सविता देवी नहीं रुकीं. उन्होंने 'जीविका' से जुड़कर अपने संघर्ष को नई दिशा दी.
PM आवास योजना से मिली उम्मीद
जीविका के माध्यम से मेहनत करते हुए उन्हें सीआरपी (CRP) की जिम्मेदारी मिली और आगे चलकर नगर परिषद, मसौढ़ी में काम करने का अवसर मिला. यहां उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने न सिर्फ खुद इसका लाभ लेकर पक्का घर बनाया, बल्कि 20 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को भी इसका लाभ दिलवाया. यही नहीं, अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर भी उन्होंने आम जनता की मदद की, जिससे उनके प्रयासों को मान्यता मिलने लगी.
सम्मान का कारण और गर्व का क्षण
इन्हीं जन-कल्याणकारी कार्यों और प्रतिबद्धता को देखते हुए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रपति भवन में आमंत्रण भेजा गया. यह न सिर्फ सविता देवी बल्कि पूरे पटना जिले के लिए गौरव का विषय है.
“कभी सोचा नहीं था...”
स्थानीय चैनल 'लोकल 18' से बातचीत में सविता देवी ने कहा, "यह मेरे लिए गर्व और भावुकता का पल है. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं राष्ट्रपति भवन जाऊंगी. मेहनत और ईमानदारी से किया गया हर काम रंग लाता है." उन्होंने अपने सफर में विवेक कुमार (नगर परिषद मसौढ़ी, एचएफए अर्बन) का भी आभार जताया, जिन्होंने हर कदम पर उन्हें सहयोग दिया.
एक आम महिला, एक असाधारण प्रेरणा
सविता देवी की कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों और सेवा का भाव हो, तो कोई भी चुनौती आपको रोक नहीं सकती. उनका संघर्ष अब प्रेरणा बन चुका है, उनके लिए, उनके परिवार के लिए और उन सभी महिलाओं के लिए, जो हालातों से हार मानने की बजाय उनसे लड़ने का साहस रखती हैं.
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