भारत कराएगा यूक्रेन में शांति? फ्रांस, जर्मनी के बाद EU चीफ ने की पीएम मोदी से बात, जानें क्या कहा?

    दुनिया एक बार फिर भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है. यूक्रेन युद्ध को लेकर जहां वैश्विक मंचों पर शांति की कोशिशें तेज हो रही हैं, वहीं भारत की भूमिका को अब निर्णायक माना जा रहा है.

    EU chief spoke to PM Modi about peace in Ukraine
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: दुनिया एक बार फिर भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है. यूक्रेन युद्ध को लेकर जहां वैश्विक मंचों पर शांति की कोशिशें तेज हो रही हैं, वहीं भारत की भूमिका को अब निर्णायक माना जा रहा है. हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की है, और यह साफ कर दिया है कि यूरोप चाहता है कि भारत इस संकट के समाधान में एक सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभाए.

    यह बात अब और भी अहम हो जाती है क्योंकि इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के विदेश मंत्री भी इसी सिलसिले में भारत से संवाद कर चुके हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी कई बार सीधे प्रधानमंत्री मोदी से संपर्क कर चुके हैं. यह सारी कूटनीतिक हलचल इस ओर इशारा कर रही है कि विश्व भारत को एक विश्वसनीय, संतुलित और निर्णायक शक्ति के रूप में देख रहा है जो शायद यूक्रेन में शांति की दिशा में दरवाजा खोल सके.

    EU अध्यक्ष का संदेश: शांति के लिए भारत ज़रूरी

    यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा की. उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करना सम्मान की बात रही. भारत और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच संवाद स्वागत योग्य है. रूस को अपनी आक्रामक नीति समाप्त कर शांति की ओर कदम बढ़ाने चाहिए. इस दिशा में भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यह युद्ध केवल यूरोप ही नहीं, बल्कि दुनिया की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरा है."

    यह बयान यह दिखाता है कि EU न केवल भारत की तटस्थता को स्वीकार करता है, बल्कि उसे संघर्ष के समाधान की संभावित कुंजी भी मानता है.

    शांति के साथ-साथ साझेदारी की ओर- पीएम मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए बताया कि उन्होंने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और EU प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ व्यापक चर्चा की. इस चर्चा में न केवल यूक्रेन संकट बल्कि व्यापार, तकनीक, निवेश, रक्षा सहयोग और सप्लाई चेन जैसे रणनीतिक मुद्दों को भी शामिल किया गया.

    प्रधानमंत्री ने इस बातचीत को 'रचनात्मक और आगे बढ़ाने वाली' बताया और यह भी कहा कि भारत और EU के बीच चल रही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की बातचीत को जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

    इसके साथ ही मोदी ने दोनों नेताओं को भारत-EU शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आने का निमंत्रण भी दिया है.

    क्यों भारत को माना जा रहा है 'शांति का सेतु'?

    भारत की भूमिका इसलिए सबसे अलग और प्रभावशाली मानी जा रही है क्योंकि उसने यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही एक स्वतंत्र और संतुलित रुख अपनाया है. भारत ने कभी भी खुलकर रूस की आलोचना नहीं की, लेकिन युद्ध विराम और शांति संवाद की लगातार पैरवी करता रहा. संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत ने हमेशा संवेदना, समझदारी और समाधान की बात की.

    प्रधानमंत्री मोदी का बयान "यह युद्ध का युग नहीं है", आज पूरी दुनिया में शांति का प्रतीक वाक्य बन गया है. इसी वजह से भारत न केवल रूस, बल्कि यूक्रेन और पश्चिमी देशों के बीच एक मध्यस्थ या सुलहकर्ता के रूप में देखा जा रहा है.

    फ्रांस और जर्मनी भी कर चुके हैं अपील

    इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत कर भारत से आग्रह किया था कि वह यूक्रेन युद्ध पर कोई सकारात्मक और निर्णायक पहल करे. दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और अंतरराष्ट्रीय संकट प्रबंधन जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई थी.

    इसके बाद जर्मनी के विदेश मंत्री भारत आए और उन्होंने भी कहा कि भारत और जर्मनी मिलकर वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक साझा शक्ति बन सकते हैं.

    जेलेंस्की की नजरें भी भारत पर

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी पहले कई बार प्रधानमंत्री मोदी से सीधा संपर्क कर चुके हैं. उनका मानना है कि भारत ऐसा देश है जो न केवल रूस के करीब है, बल्कि पश्चिमी देशों के साथ भी उसके मजबूत कूटनीतिक संबंध हैं. इसी संतुलन की वजह से भारत की मध्यस्थता यूक्रेन के लिए शांति का रास्ता खोल सकती है.

    भारत और EU के संबंधों में नई ऊर्जा

    यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में भारत और EU के संबंध और भी गहरे और व्यापक होंगे. 2026 में प्रस्तावित भारत–EU शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष मिलकर संयुक्त रणनीतिक एजेंडा पर सहमति बनाने की योजना बना रहे हैं.

    वहीं 2025 के अंत तक भारत–EU मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने का भी लक्ष्य तय किया गया है. यूरोपीय यूनियन यह मानता है कि भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर, भरोसेमंद और रणनीतिक साझेदार है.

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