"गलतियां सामान्य हैं...", SC में सुनवाई के दौरान बोला चुनाव आयोग, जानें SIR मुद्दे पर क्या हुई बहस

    SIR hearing In SC: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर उठ रहे सवाल अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुके हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर अहम सुनवाई हुई, जहां जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं से तीखे सवाल किए.

    Election Commission spoke during the hearing in SC know what was the debate on SIR issue
    Image Source: ANI

    SIR hearing In SC: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर उठ रहे सवाल अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुके हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर अहम सुनवाई हुई, जहां जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं से तीखे सवाल किए.

    कोर्ट ने सबसे पहले यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या SIR प्रक्रिया संविधान और कानून के दायरे में आती है या नहीं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "पहले यह बताइए कि यह प्रक्रिया वैधानिक है या नहीं. अगर यह किसी सशर्त योजना के तहत अनुमत है, तो हम प्रक्रिया को परखेंगे. यदि ऐसा नहीं है, तो फिर मामला अलग दिशा में जाएगा."

    "त्रुटियां सामान्य हैं"

    चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि यह प्रक्रिया अभी ड्राफ्ट स्तर पर है और इतने बड़े अभ्यास में कुछ न कुछ खामियां होना स्वाभाविक है. लेकिन कोर्ट ने यह मानने से इनकार कर दिया कि मृत व्यक्ति को जीवित और जीवित को मृत दिखाना “सामान्य” गलती है. जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा, "आप हमें बताएं कि कितने लोगों को मृत घोषित किया गया है? आपके अधिकारियों ने क्या कोई कार्रवाई की?"

    सिब्बल और शंकरनारायण ने उठाए गंभीर सवाल

    वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि एक छोटे से निर्वाचन क्षेत्र में 12 ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें मृत घोषित किया गया है, जबकि वे जीवित हैं. उन्होंने प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि नियमों के तहत मतदाताओं को उचित सूचना और दस्तावेज़ों का अवसर तक नहीं दिया गया.

    उन्होंने यह भी कहा, "जब मैं कहता हूं कि मैं भारतीय नागरिक हूं, तो इसे साबित करना मेरी जिम्मेदारी नहीं है. जो आपत्ति करता है, उसे सबूत देना होगा." सिब्बल ने फॉर्म 5, फॉर्म 6 और नियम 13 का हवाला देते हुए कहा कि नागरिक को नाम दर्ज कराने के लिए केवल सूचनाएं देनी होती हैं, न कि दस्तावेज़ों का अंबार पेश करना.

    SIR प्रक्रिया की वैधता पर केंद्रित हुई बहस

    कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह इस मामले को केवल तकनीकी त्रुटियों की दृष्टि से नहीं देखेगा, बल्कि यह जांचेगा कि क्या SIR प्रक्रिया कानून के अनुसार शुरू की गई थी या नहीं. यदि यह प्रक्रिया प्रारंभिक चरण से ही नियमों का उल्लंघन करती है, तो पूरे पुनरीक्षण की वैधता खतरे में पड़ सकती है.

    क्या हो सकता है असर?

    अगर कोर्ट यह तय करता है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया वैधानिक रूप से शुरू नहीं की गई थी, तो इससे ना केवल पूरे राज्य में मतदाता सूची प्रभावित हो सकती है, बल्कि आगामी चुनावों पर भी असर पड़ेगा.

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