तेजी से घूम रही धरती, क्या कुछ बड़ा होने वाला है? इन 2 तारीखों को लेकर वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा

    Viral News: हम सभी जानते हैं कि धरती अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है, और यही वजह है कि हमें 24 घंटे का दिन-रात का चक्र देखने को मिलता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस 24 घंटे के दिन में भी बदलाव आ सकता है?

    earth rotation speed increase days will be shorter because of Earth Rotation
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    Viral News: हम सभी जानते हैं कि धरती अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है, और यही वजह है कि हमें 24 घंटे का दिन-रात का चक्र देखने को मिलता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस 24 घंटे के दिन में भी बदलाव आ सकता है? जी हां, वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती की घूर्णन गति बढ़ रही है, और आने वाले महीनों में दिन का समय कुछ कम हो सकता है. आइए जानते हैं इस बदलाव के कारण और इसका इंसान के जीवन पर क्या असर हो सकता है.

    धरती की घूर्णन गति में तेजी

    धरती की अपनी धुरी पर घूमने की गति बढ़ रही है, और इसका नतीजा यह हो रहा है कि दिन का समय घट रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 22 जुलाई और 5 अगस्त को हम कुछ समय के लिए महसूस करेंगे कि दिन छोटे हो गए हैं, क्योंकि इस दौरान पृथ्वी और भी तेज़ी से घूमेगी. हालांकि, यह बदलाव बहुत ही मामूली होगा और इसे महसूस नहीं किया जा सकेगा.

    छोटा होने वाला दिन

    वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की घूर्णन में होने वाली यह रफ्तार बढ़ोतरी केवल 1.3 से 1.5 मिलीसेकेंड के अंतर से दिन को छोटा करेगी. इतना छोटा अंतर होगा कि आम इंसान इसे महसूस नहीं कर पाएगा, बल्कि इसे सिर्फ वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से मापा जा सकेगा. इसका मतलब यह है कि सामान्य जीवन में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा.

    पृथ्वी की घूर्णन गति में बदलाव के कारण

    पृथ्वी का घूर्णन हमेशा स्थिर नहीं रहता, और इसे विभिन्न कारक प्रभावित करते हैं, जैसे सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव और ग्रह पर द्रव्यमान का संतुलन. शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ अरब साल पहले पृथ्वी पर एक दिन केवल 19 घंटे का होता था, क्योंकि तब चंद्रमा धरती के ज्यादा करीब था.

    इंसान की जिंदगी पर असर नहीं पड़ेगा

    हालांकि धरती की घूर्णन की गति में बदलाव हो रहा है, लेकिन इसका इंसान की जिंदगी पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. 1.3 से 1.5 मिलीसेकेंड का फर्क इतनी छोटी अवधि है कि इसे महसूस नहीं किया जा सकेगा. ऐसे में, हमें इस बदलाव से घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

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