पृथ्वी के घूमने की रफ्तार बढ़ी, 24 घंटे का नहीं होगा दिन, एक हिस्से पर ही दिखाई देगा चांद

    Science News: पृथ्वी की घूर्णन गति में तेजी आ रही है, और इसका सीधा असर हमारे दिन-रात के चक्र पर पड़ सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी की घूर्णन गति में लगातार वृद्धि हुई है, और इस गति में बदलाव के कारण हम इतिहास के सबसे छोटे दिन का अनुभव कर सकते हैं.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    Science News: पृथ्वी की घूर्णन गति में तेजी आ रही है, और इसका सीधा असर हमारे दिन-रात के चक्र पर पड़ सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी की घूर्णन गति में लगातार वृद्धि हुई है, और इस गति में बदलाव के कारण हम इतिहास के सबसे छोटे दिन का अनुभव कर सकते हैं. यह चौंकाने वाला बदलाव इस साल जुलाई या अगस्त में हो सकता है, जब पृथ्वी का एक दिन 24 घंटे से भी कम रहेगा. लेकिन सवाल यह है कि यह बदलाव क्यों हो रहा है, और क्या इसका हमारी दिनचर्या पर कोई असर पड़ेगा?

    पृथ्वी के तेजी से घूमने के पीछे क्या कारण हैं?

    खगोल वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला है कि 2020 से पृथ्वी की घूर्णन गति सामान्य से अधिक तेज़ हो गई है. हालांकि, इसके कारण के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रमा की कक्षा से संबंधित एक प्राकृतिक प्रभाव हो सकता है. इसके चलते अब पृथ्वी का एक दिन लगभग 1.66 मिली सेकंड कम हो चुका है. इससे पहले, 2021 में भी एक दिन सामान्य से 1.47 मिली सेकंड छोटा था, और 2022 में यह कमी बढ़कर 1.59 मिली सेकंड तक पहुंच गई थी. सबसे हालिया रिकॉर्ड 5 जुलाई 2024 को बना, जब एक दिन 1.66 मिली सेकंड कम था. यह आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं, क्योंकि इससे पहले पृथ्वी के घूर्णन की गति इतनी तेज़ नहीं देखी गई थी.

    चंद्रमा की कक्षा के कारण बदलता है पृथ्वी का घूर्णन

    वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी का घूर्णन धीमा हो रहा था, लेकिन चंद्रमा की कक्षा में बदलाव के कारण अब यह घूर्णन तेज़ हो गया है. अरबों साल पहले, पृथ्वी पर एक दिन सिर्फ तीन से छह घंटे तक रहता था, लेकिन चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव ने पृथ्वी के घूर्णन को धीमा कर दिया और हमें आज 24 घंटे का दिन मिल रहा है. लेकिन चंद्रमा की कक्षा में होने वाले बदलाव के कारण अब पृथ्वी का घूर्णन फिर से तेजी से बढ़ रहा है, और इसके चलते 2025 में तीन संभावित तारीखों में से सबसे छोटा दिन आने की संभावना 9 जुलाई, 22 जुलाई या 5 अगस्त को है.

    क्या इसका हमारे जीवन पर कोई असर पड़ेगा?

    अभी के लिए पृथ्वी के घूर्णन में होने वाले बदलाव से आम जीवन पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा. हमारी दिनचर्या, मौसम, और प्राकृतिक घटनाओं पर इसका कोई गहरा असर नहीं होने वाला है. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो आने वाले समय में कुछ तकनीकी समस्याएं हो सकती हैं. विशेष रूप से, दूरसंचार, सेटेलाइट तकनीक, और GPS जैसी प्रणालियों में छोटे समय के अंतराल का प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि ये तकनीकें अत्यधिक सटीक समय पर आधारित होती हैं. इसलिए, वैज्ञानिक इसे लेकर सतर्क हैं और कुछ तकनीकी सुधार की योजना भी बनाई जा सकती है.

    क्या होगा जब पृथ्वी और चंद्रमा का घूर्णन एक जैसा हो जाएगा?

    वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 50 अरब वर्षों में पृथ्वी और चंद्रमा के घूर्णन के बीच तालमेल पूरी तरह से बैठ जाएगा. उस समय चंद्रमा हमेशा पृथ्वी के एक ही हिस्से पर दिखाई देगा, और इससे चंद्रमा की स्थिति में बदलाव नहीं होगा. इस प्रक्रिया के दौरान पृथ्वी पर और भी कई बदलाव हो सकते हैं, जिनसे हमारी जीवनशैली और पर्यावरण पर भी असर पड़ेगा.

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