मुजफ्फरपुर: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मंगलवार को बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित हनुमंत कथा के दौरान एक बार फिर अपने तीखे और प्रभावशाली शब्दों से श्रोताओं में जोश भर दिया. मंच पर जैसे ही उन्होंने भाषण की शुरुआत की, वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुओं की तालियों और जयघोषों से पूरा पंडाल गूंज उठा.
'ऑपरेशन सिंदूर' पर बोले शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में भारत द्वारा किए गए सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा: "पहलगाम में धर्म देखकर लोगों को मारा गया, ये चेहरा है पाकिस्तान का. लेकिन अब वो समय नहीं रहा, अब ये 2025 का भारत है जो आतंकियों को घर में घुसकर जवाब देता है. ऑपरेशन सिंदूर कोई आखिरी अध्याय नहीं, वो तो बस एक झांकी है. हल्दी, मेहंदी और विवाह की रस्में अभी बाकी हैं."
पाकिस्तान पर तंज
अपने चिर-परिचित शैली में धीरेंद्र शास्त्री ने पाकिस्तान और चीन पर भी व्यंग्य कसते हुए कहा: "पाकिस्तान अब पगला गया है. हम तो चाइना के चार्जर पर भरोसा नहीं करते, और वो चाइना की मिसाइलों पर भरोसा कर बैठा है. हमारी बेटियों ने ही पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है, सोचिए बेटों की बारी आई तो क्या होगा!"
धर्म से बड़ी जाति नहीं होती
जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी उन्होंने अपने विचार साझा किए. शास्त्री जी ने कहा: "हमें जातीय नहीं, आर्थिक जनगणना चाहिए. ताकि यह पता चल सके कि असली गरीब कौन हैं. आज जातियों के नाम पर देश बांटने की राजनीति हो रही है, जबकि धर्म से बड़ी कोई जाति नहीं होती."
उन्होंने मंच से यह भी कहा कि देश को एकजुट करने की जिम्मेदारी युवाओं और धर्म प्रेमियों की है, न कि जातिगत नारों की.
'बिहार में का बा' से शुरू किया भाषण
शास्त्री जी कार्यक्रम में करीब 5 घंटे की देरी से पहुंचे, लेकिन जैसे ही मंच पर आए, उन्होंने अपने अंदाज़ में कहा: "बिहार में का बा! जो लोग शाम 5 बजे से हमें गाली दे रहे हैं, उन पगलों की जय हो."
उन्होंने दिल्ली में कुछ "पगलों" से मिलने की बात की और मुजफ्फरपुर की भीड़ से आह्वान किया: "मुजफ्फरपुर के पगलों! तुम मेरा साथ दो, हम मिलकर भारत को हिंदू राष्ट्र बना देंगे."
दिव्य दरबार: भक्तों से संवाद
अपने कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने एक दिव्य दरबार भी लगाया. उन्होंने लोगों से पूछा कि सामूहिक अर्जी लगाई जाए या दिव्य दरबार लगाया जाए. श्रद्धालुओं ने जब दिव्य दरबार की मांग की तो उन्होंने मंच से कुछ विशेष भक्तों को बुलाकर उनके जीवन से जुड़े मुद्दों पर मार्गदर्शन दिया.
इस दौरान शिवम, विजय और दो महिलाओं को मंच पर बुलाया गया और उनकी समस्याओं पर दिव्य संवाद किया गया.
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