Kharmas 2025: कल रात 10 बजे से पहले कर लें सभी शुभ काम, नहीं तो करना पड़ सकता एक महीना लंबा इंतजार

    Kharmas 2025: हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, साल में एक ऐसा समय आता है जिसे खरमास या मलमास कहा जाता है. यह अवधि लगभग एक माह की होती है और इसे अशुभ माना जाता है.

    Dharm Kharmas 2025 16 december to 14 january auspicious work before 10 pm tomorrow night
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    Kharmas 2025: हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, साल में एक ऐसा समय आता है जिसे खरमास या मलमास कहा जाता है. यह अवधि लगभग एक माह की होती है और इसे अशुभ माना जाता है. खरमास की शुरुआत तब होती है जब भगवान सूर्य, गुरु बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करते हैं. इस समय सूर्य देव के तेज में कमी आ जाती है, जिसके चलते शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को अंजाम देने से उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.

    साल 2025 में खरमास की शुरुआत 16 दिसंबर की रात 10 बजकर 19 मिनट से होगी. इस समय सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने को धनु संक्रांति कहा जाता है और इसी दिन यह पर्व मनाया जाएगा. इस संक्रांति के साथ ही खरमास की अवधि प्रारंभ हो जाएगी और अगले 30 दिनों तक कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, नामकरण आदि, नहीं किए जाने चाहिए.

    खरमास की अवधि 14 जनवरी तक रहेगी, जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे. मकर संक्रांति के साथ ही यह अवधि समाप्त हो जाएगी और इसके बाद फिर से सभी शुभ कार्य किए जा सकेंगे.

    खरमास में शुभ कार्य क्यों नहीं होते

    शास्त्रों में इसे अशुभ मानने का मुख्य कारण सूर्य देव के तेज में कमी बताई गई है. इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण या अन्य मांगलिक संस्कार करने से अपेक्षित फल नहीं मिलता. इसलिए इस समय को विशेष रूप से संयम और आत्मचिंतन का समय माना गया है.

    पूजा और साधना का श्रेष्ठ समय

    हालांकि खरमास अवधि में मांगलिक कार्य अशुभ माने जाते हैं, यह समय पूजा, साधना और धार्मिक गतिविधियों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दौरान भगवान विष्णु, सूर्य देव और श्रीकृष्ण की आराधना करने से विशेष लाभ होता है.

    राम नाम जप और कीर्तन: इस समय भगवान राम का ध्यान और उनके नाम का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

    गीता पाठ: भगवद गीता का अध्ययन और पाठ आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ माना जाता है.

    विष्णु सहस्रनाम का पाठ: यह पाठ करने से शांति, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है.

    शास्त्रों का संदेश

    खरमास का समय भले ही शास्त्रों के अनुसार अशुभ है, लेकिन यह आत्मचिंतन, संयम और आध्यात्मिक अभ्यास का अवसर प्रदान करता है. यह अवधि हमें अपने जीवन में धर्म और अध्यात्म की ओर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती है.

    इस वर्ष 2025 में 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक चलने वाले खरमास में व्यक्ति को चाहिए कि वह शास्त्रों के अनुसार अपने धार्मिक कर्तव्यों पर ध्यान दे और मांगलिक कार्यों के बजाय पूजा, साधना और स्वयं सुधार के कार्यों में समय व्यतीत करे.

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