CP राधाकृष्णन या सुदर्शन रेड्डी, किसकी होगी जीत? कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव; जानें पूरा प्रोसेस

    देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए आज यानी 9 सितंबर 2025 को संसद में चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी. संसद भवन में सुबह से ही मतदान की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.

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    देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए आज यानी 9 सितंबर 2025 को संसद में चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी. संसद भवन में सुबह से ही मतदान की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच है.

    पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अस्वस्थता के चलते कार्यकाल से पहले इस्तीफा देने के बाद यह चुनाव जरूरी हो गया था. अब देश को नया उपराष्ट्रपति मिलने जा रहा है, जो अगले कार्यकाल के लिए इस संवैधानिक जिम्मेदारी को संभालेगा.

    कौन-कौन हैं मैदान में?

    एनडीए के उम्मीदवार: सी.पी. राधाकृष्णन, जो कई राज्यों में राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं और राजनीति व प्रशासन का लंबा अनुभव रखते हैं. इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार: सुदर्शन रेड्डी, जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रहे हैं और न्यायिक सेवा से आए हैं.दोनों ही उम्मीदवार अपनी-अपनी पृष्ठभूमि में मज़बूत हैं, जिससे मुकाबला रोचक बन गया है.

    उपराष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया क्या है?

    भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित व नामित सांसदों द्वारा किया जाता है. राज्य विधानसभाओं के सदस्य इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होते. यह चुनाव “अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली” के तहत सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (Single Transferable Vote) पद्धति से होता है, जिसमें गुप्त मतदान सुनिश्चित किया जाता है. सांसद अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट देते हैं.

    वोटों की गिनती कैसे होती है?

    मतगणना एक विशेष प्रक्रिया के अनुसार होती है. सबसे पहले, सभी उम्मीदवारों को मिले पहली पसंद के मतों की गिनती होती है. फिर जरूरी कोटा निकाला जाता है: कुल वैध मतों को 2 से भाग देकर 1 जोड़ने से. यदि कोई उम्मीदवार पहली पसंद में ही यह कोटा हासिल कर लेता है, तो वही विजेता घोषित होता है. अगर नहीं, तो सबसे कम वोट पाने वाले को हटाकर उसके वोट दूसरी पसंद के अनुसार दूसरे उम्मीदवार को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कोई एक उम्मीदवार जरूरी कोटा न पा ले.

    उम्मीदवार बनने की योग्यता क्या होनी चाहिए?

    उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए. उम्र 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए. राज्यसभा सदस्य बनने की पात्रता होनी चाहिए. किसी लाभ के पद पर कार्यरत नहीं होना चाहिए (सरकारी सेवा या सरकारी निकाय में). इन सभी शर्तों का उद्देश्य चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है.

    राजनीतिक पृष्ठभूमि और अहम मुद्दे

    इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव सिर्फ एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा की परीक्षा भी बन गया है. एनडीए के पास संसद में स्पष्ट बहुमत है, जिससे राधाकृष्णन की जीत की संभावनाएं जताई जा रही हैं. वहीं, विपक्ष इस चुनाव को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और संवैधानिक संतुलन की लड़ाई के तौर पर देख रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुकाबला आंकड़ों से कहीं ज्यादा विचारधारा और संदेश की लड़ाई है.

    चुनाव आयोग की भूमिका

    भारतीय चुनाव आयोग इस पूरी प्रक्रिया का संचालन करता है. सांसदों की पहचान की जांच, मतदान की गोपनीयता, मतपेटी की सुरक्षा, पारदर्शी मतगणना, इन सभी बिंदुओं पर आयोग की सतर्क नजर रहती है. आयोग का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पूरा चुनाव संवैधानिक मर्यादाओं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के तहत निष्पक्षता के साथ संपन्न हो.

    नतीजे क्या कहेंगे?

    अब सबकी निगाहें आज के मतदान पर हैं. शाम तक पता चल जाएगा कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा—राजनीतिक अनुभव वाले राधाकृष्णन या न्यायिक पृष्ठभूमि से आए सुदर्शन रेड्डी. एक ओर सत्ता पक्ष है, तो दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन की एकजुटता की परीक्षा. लेकिन इस प्रक्रिया के ज़रिए एक बार फिर भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और संस्थाओं की मजबूती का प्रदर्शन होगा.

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