नई दिल्ली: भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और घरेलू तकनीक पर आधारित सैन्य क्षमताएं अब केवल देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहीं. 7 मई, 2025 से शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को जबरदस्त झटका दिया, बल्कि दुनिया को भी यह दिखा दिया कि 'मेक इन इंडिया' सिर्फ नारा नहीं, बल्कि आधुनिक युद्धक्षमता का वास्तविक प्रमाण है.
इस सैन्य अभियान ने भारत की स्वदेशी हथियार प्रणालियों की ताकत को निर्णायक रूप से उजागर किया, जिसकी गूंज अब वैश्विक रक्षा बाजारों तक पहुंच रही है.
ऑपरेशन सिंदूर: आत्मनिर्भरता का परिचय
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ ठिकानों पर बेहद सटीक सैन्य कार्रवाई की.
इस ऑपरेशन में जिन स्वदेशी हथियार प्रणालियों की भूमिका अहम रही, उनमें शामिल थे:
10 मई को, भारतीय वायुसेना ने Su-30 MKI विमानों से 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागकर पाकिस्तान के 11 अहम हवाई अड्डों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया. वहीं, आकाश और अकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की तरफ से किए गए सैकड़ों ड्रोन और मिसाइल हमलों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया.
नेतृत्व की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को अपने संबोधन में कहा, "ऑपरेशन सिंदूर ने सिद्ध कर दिया है कि मेक इन इंडिया अब युद्धक्षेत्र में भारत की पहचान है."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह स्वीकार किया कि इस मिशन ने भारतीय रक्षा उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है.
रक्षा निर्यात में तेज़ी
भारत का रक्षा निर्यात 2023-24 में ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गया, जो बीते वर्ष की तुलना में 12% अधिक है. यह वृद्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है—यह भारत के सैन्य उद्योग की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है.
कुछ प्रमुख निर्यात सौदों में शामिल हैं:
भारत अब वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राजील और अफ्रीकी देशों के साथ भी रक्षा निर्यात को लेकर गहन चर्चा कर रहा है. सरकार का लक्ष्य है कि 2029 तक रक्षा निर्यात ₹50,000 करोड़ के पार पहुंचे.
पाकिस्तानी और चीनी हथियारों पर सवाल
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सटीक हमलों और रक्षा प्रणालियों की तुलना में, पाकिस्तान की चीनी हथियार प्रणाली जैसे HQ-9 और LY-80 प्रभावहीन साबित हुईं. इससे वैश्विक स्तर पर भारत को एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान मिली है.
'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' का असर
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट किया है कि भारत अब सिर्फ रक्षा उत्पादों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्यातक और नवाचारकर्ता के रूप में उभर चुका है. देश की पब्लिक सेक्टर की कंपनियां और उभरते हुए ड्रोन स्टार्टअप्स अब वैश्विक रक्षा उद्योग में तेजी से पहचान बना रहे हैं.
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