सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजने के आदेश के विरोध में अब पशु अधिकार संगठनों ने नया रास्ता चुना है. लगातार प्रदर्शन और अपीलों के बाद कार्यकर्ताओं ने अब आध्यात्मिक मार्ग अपनाते हुए भगवान से न्याय की गुहार लगाई है.
सोमवार की आधी रात को दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में पशु प्रेमी इकट्ठा हुए और उन्होंने प्रार्थना सभा आयोजित की.
आधी रात को गूंजे 'हनुमान चालीसा' के स्वर
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं के मुताबिक, यह सभा रात 12 बजे शुरू हुई, जिसमें करीब 200 लोग शामिल हुए. हाथों में “आवारा नहीं, हमारा है” जैसे नारे लिखे पोस्टर लिए हुए इन लोगों ने मंदिर परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया और पशुओं की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद मांगा. इसके बाद प्रदर्शनकारी बंगला साहिब गुरुद्वारा की ओर प्रार्थना यात्रा पर निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक दिया.
अब न्याय की उम्मीद ईश्वर से है
पशु अधिकारों के लिए सक्रिय एक कार्यकर्ता ने कहा कि हम लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन हमारी बात को सुना नहीं जा रहा. अब हमने भगवान से प्रार्थना की है कि वे हमें इस लड़ाई में ताकत दें. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने की मांग पर अब भी अडिग हैं, जिसमें आवारा कुत्तों को उठाकर आश्रय केंद्रों में भेजने की बात कही गई है.
'रात के अंधेरे में न हों बेजुबानों पर ज़ुल्म'
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिल्ली जैसे शहरों में आवारा कुत्तों के लिए कोई व्यवस्थित आश्रय स्थल मौजूद नहीं है. ऐसे में सड़कों से इन जानवरों को जबरन हटाना अनुचित और अमानवीय कदम है. उनका कहना है कि रात में इन कुत्तों को उठाकर कहां ले जाया जा रहा है, इसकी कोई पारदर्शिता नहीं है और यह तरीका जानवरों के अधिकारों का उल्लंघन है.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने माना कि आवारा कुत्तों की समस्या का कारण स्थानीय निकायों की निष्क्रियता है. हालांकि, कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के दिशानिर्देशों में से कुछ पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर अभी अंतिम निर्णय नहीं दिया है और फैसला सुरक्षित रखा है.
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