कंडक्टर ने की थी 110 रुपये की धोखाधड़ी, अब 20 साल बाद मिली बड़ी राहत.. गजब का है ये कोर्ट केस

    हरियाणा रोडवेज के एक कंडक्टर को आखिरकार दो दशकों बाद राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 110 रुपये की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी इस कंडक्टर के खिलाफ अनुशासनिक और अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को रद्द करते हुए उसे सेवा से जुड़े सभी लंबित वेतन और भत्ते तीन माह के भीतर देने का आदेश दिया है.

    Delhi High Court Grants Relief To Bus Conductor
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    हरियाणा रोडवेज के एक कंडक्टर को आखिरकार दो दशकों बाद राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 110 रुपये की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी इस कंडक्टर के खिलाफ अनुशासनिक और अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को रद्द करते हुए उसे सेवा से जुड़े सभी लंबित वेतन और भत्ते तीन माह के भीतर देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह फैसला न्याय के मूल सिद्धांत और वर्षों तक चले कानूनी संघर्ष को देखते हुए सुनाया.

    क्या था मामला?

    इस कंडक्टर की नियुक्ति 1981 में हरियाणा रोडवेज में हुई थी. 2006 में उस पर पहली बार आरोप लगा कि उसने यात्रियों से कुल 110 रुपये वसूले लेकिन टिकट नहीं दिए. इसके बाद उस पर चार और मामलों में भी धोखाधड़ी और वरिष्ठ अधिकारियों से दुर्व्यवहार के आरोप लगे. मामला जांच के बाद अनुशासनिक प्राधिकरण तक पहुंचा, जिसने कंडक्टर को दोषी मानते हुए सेवा समाप्ति का आदेश दे दिया और उसे नियुक्ति से लेकर कार्यकाल के सभी लाभों से वंचित कर दिया गया.

    हाईकोर्ट ने क्या कहा?

    जस्टिस प्रतीक जालौन की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, "यह केवल 110 रुपये का मामला नहीं है, बल्कि दो दशकों तक चले मुकदमे और उसमें आरोपी की आर्थिक व मानसिक पीड़ा का मामला भी है. आरोपी अपनी बात रखने और न्याय पाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर चुका है." कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सामान्य तौर पर ऐसे मामलों को दोबारा जांच के लिए भेजा जाता है, लेकिन जब कोई केस अनुचित रूप से लंबा खिंच जाए तो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को अधिकार है कि वह उसे वहीं खत्म कर राहत दे.

    कोर्ट ने अपनाया मानवीय दृष्टिकोण

    हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि न्याय केवल सजा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देखने की भी आवश्यकता है कि कोई व्यक्ति छोटे से आरोप के चलते जीवन भर की नौकरी, सम्मान और अधिकारों से वंचित न रह जाए. अदालत ने इसी आधार पर यह निर्णय लिया कि कंडक्टर को उसके सेवानिवृत्त लाभ और लंबित वेतन प्रदान किए जाएं.

    अब क्या होगा?

    हालांकि कंडक्टर अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन अदालत के आदेश के अनुसार उन्हें सेवा काल के दौरान रोकी गई सैलरी, भत्ते और अन्य वित्तीय लाभ तीन माह के भीतर प्रदान किए जाएंगे. हरियाणा रोडवेज को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

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