यमुना का रौद्र रूप! बाढ़ से डूब गई दिल्ली; पानी ने डेंजर लेवल किया पार, निचले इलाकों में मचा हाहाकार

    Delhi Flood: भारी बारिश और बैराज से लगातार छोड़ा जा रहा पानी अब दिल्ली के लिए संकट बनकर सामने आ रहा है. यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके चलते राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं.

    Delhi floods Yamuna overflows houses submerged 15,000 people shifted to relief camps
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    Delhi Flood: भारी बारिश और बैराज से लगातार छोड़ा जा रहा पानी अब दिल्ली के लिए संकट बनकर सामने आ रहा है. यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके चलते राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. गलियों, सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक यमुना का पानी भर चुका है. प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन प्रभावित लोग अब भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. आइए, इस स्थिति का जायजा लेते हैं.

    यमुना का जलस्तर: खतरे के निशान से ऊपर

    यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, सुबह 5 बजे पुराने रेलवे ब्रिज के पास जलस्तर 207.47 मीटर दर्ज किया गया, जो 6 बजे तक 207.48 मीटर तक पहुंच गया और अभी भी स्थिर है. यह स्तर नदी के खतरे के निशान 205.33 मीटर से काफी ऊपर है. इससे पहले 13 जुलाई 2023 को यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंचकर रिकॉर्ड तोड़ चुका है, जिसने दिल्ली में भारी तबाही मचाई थी.

    बैराज से पानी की रफ्तार: हर घंटे लाखों क्यूसेक

    बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार, हरियाणा की ओर से हथिनीकुंड, वजीराबाद और ओखला बैराज से हर घंटे लाखों क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है. सुबह 5 बजे हथिनीकुंड से 1,53,172 क्यूसेक, वजीराबाद से 1,90,390 क्यूसेक और ओखला से 2,35,550 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. सुबह 7 बजे तक यह आंकड़ा हथिनीकुंड से 1,43,184 क्यूसेक, वजीराबाद से 1,93,090 क्यूसेक और ओखला से 2,40,002 क्यूसेक तक पहुंच गया. इस लगातार पानी के बहाव ने दिल्ली के अन्य इलाकों में भी बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है.

    निचले इलाकों में तबाही: घरों में घुसा पानी

    यमुना के उफान ने दिल्ली के निचले इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. बदरपुर खादर, गढ़ी मांडू, पुराना उस्मानपुर गांव, मोनेस्ट्री, यमुना बाजार, विश्वकर्मा कालोनी और प्रधान गार्डन जैसे इलाकों में पानी ने सबकुछ डुबो दिया है. प्रधान गार्डन में तो पानी चार फीट तक भर गया है. लोग अपने सामान को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं. कई लोग पानी के बीच से सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं.

    राहत और बचाव: प्रशासन की कोशिशें

    प्रशासन ने पिछले कुछ दिनों से खादर इलाकों में मुनादी करवाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की थी. लेकिन कई लोग अपने घर छोड़ने को तैयार नहीं थे. बुधवार तड़के जब पानी घरों में घुसने लगा, तब लोगों ने प्रशासन से मदद मांगी. अलर्ट टीमें तुरंत हरकत में आईं और अब तक सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. करीब 15,000 लोग राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं.

    राहत शिविरों की कमी

    बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि राहत शिविरों की संख्या पर्याप्त नहीं है. कई लोग पानी भरे घरों की दूसरी मंजिल पर रहने को मजबूर हैं, जबकि कुछ लोग सड़कों, फुटपाथ और डिवाइडर पर तिरपाल डालकर रह रहे हैं. कुछ के पास तिरपाल तक नहीं है. एक महिला को सड़क पर छाते के नीचे अपने बच्चों के लिए खाना बनाते देखा गया, जो इस संकट की भयावहता को दर्शाता है.

    48-50 घंटों में दिल्ली पहुंचता है पानी

    बैराज से छोड़ा गया पानी 48 से 50 घंटों में दिल्ली पहुंचता है. यमुना का चेतावनी स्तर 204.50 मीटर और खतरे का निशान 205.33 मीटर है. जलस्तर 206 मीटर के पार पहुंचते ही प्रशासन ने निचले इलाकों से लोगों को हटाना शुरू कर दिया. लेकिन लगातार बढ़ता जलस्तर और बैराज से छोड़ा जा रहा पानी स्थिति को और गंभीर बना रहा है.

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