भारत के थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चेतावनी दी है कि अगला युद्ध हमारी कल्पना से भी जल्दी सामने आ सकता है और इसके लिए हमें सामूहिक रूप से तैयार रहना होगा. आईआईटी मद्रास में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए घटनाक्रम और उससे जुड़े अहम फैसलों का विस्तार से जिक्र किया.
जनरल द्विवेदी ने याद दिलाया कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया. इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना को पूरी तरह फ्री हैंड दिया गया.
पहलगाम हमले से हिली देश की नींव
23 अप्रैल को रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुखों की बैठक में स्पष्ट राजनीतिक दिशा मिली “अब बहुत हो गया.” इस निर्णय के बाद 25 अप्रैल को उत्तरी कमान में योजना बनाई गई और कुछ ही दिनों में 9 में से 7 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया. बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया हुआ और 29 अप्रैल को पहली बार प्रधानमंत्री के साथ विस्तृत समीक्षा हुई.
ग्रे जोन में चली रणनीतिक चालें
जनरल द्विवेदी के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर एक तरह से शतरंज का खेल था. यह पारंपरिक युद्ध नहीं था, बल्कि “ग्रे जोन” रणनीति का उदाहरण था—जहां हर कदम सोच-समझकर उठाया गया और दुश्मन की चाल का तोड़ निकाला गया. कभी चेकमेट, तो कभी जान पर खेलकर वार — यही इस ऑपरेशन की खासियत रही. उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख असीम मुनीर के नैरेटिव मैनेजमेंट पर भी तंज कसा.
वायुसेना की निर्णायक भूमिका
इसी कार्यक्रम से पहले भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के छह विमान मार गिराए, जिनमें पांच लड़ाकू और एक टोही विमान शामिल था. वायुसेना के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने लगभग 300 किलोमीटर की दूरी से इन लक्ष्यों को निशाना बनाया. पाकिस्तान के जैकोबाबाद एयरबेस पर खड़े F-16 विमानों को भी तबाह किया गया. जनरल द्विवेदी और एयर चीफ मार्शल के बयानों से साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक सैन्य अभियान था, बल्कि यह रणनीतिक और तकनीकी क्षमता का ऐसा प्रदर्शन था, जिसने दुश्मन को कई मोर्चों पर मात दी.
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