एड के जरिए मॉडल की हायरिंग, अश्लील कंटेंट बनाकर मोटी कमाई... नोएडा कांड का पूरा चिट्ठा पढ़ लीजिए

उत्तर प्रदेश के नोएडा में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े पोर्न कंटेंट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह पोर्न वेबसाइटों के लिए अश्लील वीडियो कंटेंट बनाता था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

उत्तर प्रदेश के नोएडा में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े पोर्न कंटेंट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह पोर्न वेबसाइटों के लिए अश्लील वीडियो कंटेंट बनाता था. 28 मार्च 2025 को ED ने Subdigi Ventures Private Limited नामक कंपनी पर छापा मारा. जांच में यह खुलासा हुआ कि कंपनी के मालिक उज्जवल किशोर और नीलू श्रीवास्तव अपने घर से ही एक अडल्ट वेबकैम स्टूडियो चला रहे थे. ये दोनों विदेशी कंपनियों के लिए काम कर रहे थे और मॉडल्स से अश्लील कंटेंट बनवाकर बड़ी रकम कमाते थे. इस अवैध गतिविधि में विदेशी फंडिंग का भी इस्तेमाल किया जा रहा था.

Xhamster और Stripchat जैसी पोर्न वेबसाइट

ED की छापेमारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत की गई. FEMA एक ऐसा कानून है जो विदेशी मुद्रा के लेन-देन को नियंत्रित करता है. जांच में यह पता चला कि उज्जवल किशोर और नीलू श्रीवास्तव साइप्रस की कंपनी Technius Limited के लिए काम कर रहे थे. यह कंपनी Xhamster और Stripchat जैसी पोर्न वेबसाइट चलाती है.

यह कपल सोशल मीडिया के जरिए मॉडल्स की भर्ती करता था. मॉडल्स को लाइव कैम पर अश्लील कंटेंट दिखाना होता था और इसके बदले वे पैसे कमाते थे.

अवैध विदेशी फंडिंग का खुलासा

यह कपल विदेशी कंपनियों से पैसे मंगवाने के लिए बैंक में गलत जानकारी देता था. वे दावा करते थे कि यह पैसा विज्ञापन और मार्केट रिसर्च के लिए है, जबकि असल में यह पैसे पोर्न कंटेंट बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे. जांच में अब तक करोड़ों रुपये की अवैध विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ है. इस पैसे का 75% हिस्सा कपल खुद रखता था और 25% मॉडल्स को दिया जाता था.

ED ने छापेमारी के दौरान स्टूडियो में काम कर रही मॉडल्स के बयान भी दर्ज किए हैं. इसके अलावा, बैंक लेन-देन और अन्य वित्तीय मामलों की भी गहरी जांच की जा रही है. ED का कहना है कि इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी. इस मामले ने देश में पोर्न कंटेंट बनाने के अवैध नेटवर्क का खुलासा किया है और यह भी दर्शाया है कि विदेशी फंडिंग का गलत इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है.

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