विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश का मास्टरस्ट्रोक! बिहार में डोमिसाइल नीति लागू, जानें किसे होगा फायदा

    Domicile Policy in Bihar: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है. विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को लुभाने के लिए एक बड़ा कदम उठा लिया है.

    CM Nitish masterstroke before assembly elections Domicile policy implemented in Bihar
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    Domicile Policy in Bihar: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है.  विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को लुभाने के लिए एक बड़ा कदम उठा लिया है.  सरकार ने घोषणा की है कि अब सरकारी शिक्षकों की भर्ती में सिर्फ बिहार के मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी.  यानी अब "डोमिसाइल नीति" को फिर से लागू कर दिया गया है. 

    TRE-4 और TRE-5 के तहत होने वाली शिक्षक बहाली परीक्षा में अब बाहर के उम्मीदवारों की एंट्री बंद कर दी गई है.  अब सिर्फ वही अभ्यर्थी इन परीक्षाओं में बैठ पाएंगे जिनके पास बिहार का डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा, “शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों की भर्ती में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता देने के लिए नियमों में संशोधन किया जाए. ”

    क्यों मायने रखता है यह फैसला?

    लंबे समय से बिहार के छात्र मांग कर रहे थे कि जब नौकरी बिहार की है, तो मौका भी बिहार के युवाओं को मिलना चाहिए.  बाहरी राज्यों से हजारों की संख्या में अभ्यर्थी आकर बिहार में परीक्षा देते थे और नौकरी ले जाते थे.  इससे बिहार के स्थानीय युवाओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था. अब सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षक भर्ती परीक्षा में बाहरी अभ्यर्थियों का रास्ता बंद हो गया है. 

    राजनीतिक घमासान शुरू 

    नीतीश के इस फैसले के बाद सियासी पारा चढ़ गया है.  राजद नेता तेजस्वी यादव ने तुरंत बयान देते हुए कहा, "हम पहले ही कह चुके हैं कि हमारी सरकार आएगी तो हम डोमिसाइल नीति लागू करेंगे.  नीतीश वही कर रहे हैं जो हमने कहा था. "वहीं प्रशांत किशोर ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "20 साल में कुछ नहीं किया, अब जब जनता इन्हें हटाने को तैयार है, तब ये फैसले ले रहे हैं. "

    इसके जवाब में जदयू और भाजपा के नेताओं ने नीतीश कुमार के फैसले को "ऐतिहासिक" और "युवाओं के हित में" बताया है.  जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि अब राजद को जवाब देना चाहिए कि वह क्यों बाहरी लोगों को राज्यसभा भेजती है. 

    क्या है और कैसे करेगा काम?

    जो अभ्यर्थी बिहार के निवासी हैं और जिनके पास वैध डोमिसाइल सर्टिफिकेट है, वही परीक्षा में बैठ पाएंगे.  मतलब साफ है, "बिहारी के लिए बिहारी नौकरी" की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाया है.  कई राज्यों में पहले से यह नीति लागू है जैसे कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र. अब बिहार भी इस कतार में शामिल हो गया है. 

    इतिहास दोहराया गया है...

    यह पहली बार नहीं है जब नीतीश सरकार ने डोमिसाइल पॉलिसी को लागू किया है.  साल 2020 में भी विधानसभा चुनाव से पहले यह वादा किया गया था, और फिर इसे लागू भी किया गया.  लेकिन 2023 में सरकार ने इसे हटा लिया था.  वजह थी, "अच्छे मैथ्स और साइंस के शिक्षक नहीं मिल रहे. " अब, फिर से नीति वापस लाई गई है, लेकिन इस बार चुनावी गर्मी के बीच. 

    युवाओं को क्या मिलेगा इससे?

    राज्य की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता. 

    बेरोजगारी दर में कमी की उम्मीद. 

    शिक्षा में सुधार क्योंकि स्थानीय भाषा और संस्कृति से परिचित शिक्षक ही स्कूलों में पढ़ाएंगे. 

    लेकिन सवाल अभी बाकी हैं...

    हालांकि सरकार ने नीति की घोषणा कर दी है, लेकिन यह अभी साफ नहीं किया गया कि कितना प्रतिशत आरक्षण बिहार के निवासियों को मिलेगा.  साथ ही, क्या यह फैसला केवल शिक्षकों की भर्ती तक सीमित रहेगा या अन्य विभागों में भी लागू होगा?

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