महाराष्ट्र पहुंचते ही CJI गवई ने अफसरों की लगा दी क्लास, बोले- 'मेरी जगह कोई और होता तो...'

    देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने के बाद जस्टिस बी.आर. गवई रविवार को पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के दौरे पर पहुंचे, लेकिन इस खास मौके पर राज्य के शीर्ष अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे.

    CJI Justice Gavai scolded officers
    CJI जस्टिस गवई | Photo: X

    नई दिल्लीः देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने के बाद जस्टिस बी.आर. गवई रविवार को पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के दौरे पर पहुंचे, लेकिन इस खास मौके पर राज्य के शीर्ष अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे. इस स्थिति को लेकर उन्होंने सार्वजनिक मंच से अपनी असहमति ज़ाहिर की और इसे सम्मान और संस्थागत गरिमा से जुड़ा विषय बताया.

    मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि वे छोटी-छोटी औपचारिकताओं पर जोर नहीं देना चाहते, लेकिन लोकतंत्र के तीनों स्तंभों — न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका — को एक-दूसरे को बराबरी का सम्मान देना चाहिए.

    “जब कोई अपना यहां आता है…”

    मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “जब कोई व्यक्ति, जो इसी राज्य से है, मुख्य न्यायाधीश के रूप में पहली बार यहां आता है और तब भी अगर राज्य का मुख्य सचिव, डीजीपी या मुंबई पुलिस आयुक्त स्वागत के लिए नहीं आते, तो यह सोचने वाली बात है कि ऐसा क्यों हुआ.”

    उन्होंने इस बात को व्यक्तिगत नाराज़गी के रूप में नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान की दृष्टि से उठाया. उनका मानना था कि यह कोई औपचारिक चूक नहीं, बल्कि सिद्धांत से जुड़ा मामला है.

    "अगर कोई और होता, तो अनुच्छेद 142 का सहारा लेता"

    अपने संबोधन में गवई ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में यह भी कहा, “अगर मेरी जगह कोई और होता, तो शायद अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर लिया होता.”

    अनुच्छेद 142 भारतीय संविधान में सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह संपूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक आदेश पारित कर सके — जिसमें किसी व्यक्ति को अदालत में बुलाना भी शामिल है.

    कुछ घंटे बाद पहुंचे सारे अफसर

    मुख्य न्यायाधीश के इस बयान के बाद, जब वे मुंबई के दादर स्थित चैत्यभूमि पहुंचे और डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी, तब राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, डीजीपी रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन्द्र भारती वहां मौजूद थे. इसे CJI के बयान के प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है.

    दौरा बना संदेश का वाहक

    CJI गवई का यह दौरा केवल व्यक्तिगत सम्मान का विषय नहीं था, बल्कि यह सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक मर्यादा और संस्थाओं के बीच आपसी सम्मान को लेकर एक स्पष्ट संदेश बन गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी किसी से व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं है, लेकिन सार्वजनिक संस्थाओं का आचरण जिम्मेदारी से होना चाहिए.

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