नई दिल्लीः भारत के न्यायिक इतिहास में एक और गौरवपूर्ण क्षण जुड़ गया है. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में बुधवार को राष्ट्रपति भवन में शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान एक ऐसा भावुक दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
शपथ लेने से पहले जस्टिस गवई मंच पर जाने के बजाय सबसे पहले पहली पंक्ति में बैठे गणमान्य लोगों से मिलने पहुंचे. उन्होंने सभी को नमस्कार किया और अभिवादन किया. इसी दौरान एक महिला उनके सामने खड़ी हुईं, जिन्हें देखकर जस्टिस गवई झुक गए और उनके पैर छुए. यह दृश्य न केवल भावुक करने वाला था बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता था.
कौन हैं ये महिला?
दरअसल, यह महिला कोई और नहीं बल्कि जस्टिस गवई की मां कमलताई गवई हैं. मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले बेटे ने मां के आशीर्वाद को सबसे ऊपर रखा. उन्होंने अपनी मां के चरण छूकर आशीर्वाद लिया और फिर भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद की शपथ लेने मंच की ओर बढ़े. यह दृश्य देश भर में चर्चा का विषय बन गया और सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे भारतीय मूल्यों की मिसाल बताया.
CJI गवई की मां ने क्या कहा?
जस्टिस गवई ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों, जिसमें उनकी पत्नी भी शामिल थीं, से भी आत्मीय मुलाकात की. यह पल गवई परिवार के लिए गर्व और भावनाओं से भरा हुआ था. उनकी मां ने मीडिया से बातचीत में इस मौके को बेहद खास बताया. कमलताई गवई ने कहा, “एक मां के तौर पर मेरी इच्छा थी कि मेरा बेटा समाज की सेवा करे, लोगों को न्याय दे और हर किसी को बराबर माने. आज वह पद पर पहुंचा है, यह मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है.”
न्यायमूर्ति गवई की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी प्रेरणादायक है. वे महाराष्ट्र के अमरावती जिले से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता, आर. एस. गवई, देश के तीन राज्यों – बिहार, केरल और सिक्किम – के राज्यपाल रह चुके हैं. साथ ही वे 'रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया' के प्रमुख नेता भी थे.
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