बिहार की राजनीति में एक नई करवट देखने को मिल रही है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अब विधानसभा चुनावी मैदान में उतरने का फैसला कर लिया है. लंबे समय से इस पर अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब एलजेपी (रामविलास) की ओर से आधिकारिक मुहर लगा दी गई है कि चिराग आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
केंद्रीय राजनीति से राज्य की जमीन पर वापसी
हाल ही में चिराग पासवान ने संकेत दिया था कि वह केंद्र की बजाय अब राज्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं. इसके बाद पार्टी की अहम बैठकों में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. पार्टी के इस निर्णय को न सिर्फ संगठन के विस्तार की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि एनडीए के अंदर बदलते समीकरणों का भी यह संकेतक माना जा रहा है.
नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए के साथ
चिराग पासवान के इस कदम पर सहयोगी पार्टी जदयू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि चुनाव लड़ना हर नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है और चिराग पासवान ने खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए का हिस्सा बताया है. ऐसे में जदयू को उनके फैसले से कोई आपत्ति नहीं है.
राजद ने साधा निशाना, बताया सत्ता संघर्ष का संकेत
वहीं, विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस फैसले को एनडीए के अंदर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का नतीजा बताया है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि यह घटनाक्रम एनडीए के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान की शुरुआत भर है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
बिहार में नए समीकरणों की तैयारी
चिराग पासवान की विधानसभा में एंट्री को बिहार की राजनीति में भविष्य के बड़े समीकरणों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. लंबे समय से केवल लोकसभा की राजनीति करने वाले चिराग अब जमीनी राजनीति में उतरकर अपनी मौजूदगी मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि वे किसी "सामान्य" सीट से चुनाव लड़ेंगे, हालांकि सीट का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
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