चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिनकी दुनिया पर दबदबा बनाने की ख्वाहिशें थीं, अब अपने राजनीतिक करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. जिनपिंग की सत्ता में लगातार वृद्धि और उनकी तानाशाही प्रवृत्तियों ने अब उन्हें मुश्किल में डाल दिया है. चीन में सत्ता परिवर्तन की आहट साफ सुनाई दे रही है, और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) अब उनके विकल्प की तलाश में है. तो सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है, और क्या चीन की सेना भी अब उनके खिलाफ बगावत करने की स्थिति में आ रही है?
शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष का बढ़ना
चीन में अब शी जिनपिंग के खिलाफ गहरी नाराजगी और असंतोष की लहर देखने को मिल रही है. हाल ही में खबरें आई हैं कि CCP के वरिष्ठ नेता अब शी को चीन के लिए एक बोझ मानने लगे हैं. पार्टी के भीतर से आवाजें उठ रही हैं कि उनके नेतृत्व में चीन को आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिनपिंग ने हाल ही में कुछ अधिकार वापस किए हैं, जो उनकी सत्ता पर संकुचन का इशारा कर रहे हैं.
कारणों का विश्लेषण
शी जिनपिंग के खिलाफ यह गुस्सा किस कारण से बढ़ा है, यह जानना जरूरी है. सबसे बड़ी वजह अमेरिका के साथ चल रहा आर्थिक युद्ध और देश के भीतर बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता हो सकती है. चीन की अर्थव्यवस्था संकट में है, और देश के अंदर लोगों को असंतोष महसूस हो रहा है. इसके अलावा, जिनपिंग की तानाशाही नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में निराशा ने पार्टी के भीतर और देश में बदलाव की मांग को तेज किया है.
PLA और शी जिनपिंग के बीच तनाव
चीन की सेना, पीएलए (PLA), और शी जिनपिंग के बीच हालिया तनाव भी इस संकट का एक अहम हिस्सा है. खबरें हैं कि पीएलए के सीनियर अफसर झांग के साथ जिनपिंग के मतभेद बढ़े हैं, जिसके कारण झांग को हाउस अरेस्ट किया गया है. इसके अलावा, जिनपिंग की निजी सुरक्षा को घटाने की भी खबरें आई हैं. ये घटनाएं यह संकेत देती हैं कि चीन के भीतर एक सत्ता संघर्ष हो सकता है.
सार्वजनिक कार्यक्रमों से गायब रहना
शी जिनपिंग के खिलाफ दावों और आशंकाओं को और पुख्ता करने वाली एक बड़ी वजह उनकी अनुपस्थिति है. वह पिछले 15 दिनों से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे हैं, न ही वह पोलिट ब्यूरो की बैठक में शामिल हुए थे, और न ही वह BRICS समिट में गए. चीनी मीडिया में भी उनका कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके राजनीतिक करियर में कोई न कोई संकट जरूर है.
शी जिनपिंग के बाद कौन होगा चीन का अगला नेता?
अब सवाल यह उठता है कि शी जिनपिंग के बाद चीन की कमान कौन संभालेगा? कई विशेषज्ञों का मानना है कि CCP शी के विकल्प के रूप में दो प्रमुख नेताओं पर विचार कर रही है. इनमें से पहला नाम है वांग यांग, जो चीन के पूर्व डिप्टी प्रधानमंत्री रहे हैं. वांग यांग को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत पहचान हासिल है और उन्होंने ग्वांगडोंग में एक साफ छवि की सरकार चलाने का काम किया था, जो वैश्विक स्तर पर सराही जाती है.
वहीं, दूसरा प्रमुख नाम है जनरल झांग यूक्सिया, जो सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के पहले उपाध्यक्ष हैं. उनकी पीएलए में मजबूत पकड़ है और वह सेना के अंदर एक सशक्त नेता के तौर पर उभरे हैं. उन्हें CCP के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन भी प्राप्त है. वह शी जिनपिंग के वफादार रहे हैं, लेकिन अब उनकी भूमिका को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.
संभावनाओं की दिशा
चीन की राजनीतिक स्थिति अब बेहद नाजुक हो चुकी है. जिनपिंग के सत्ता से हटने के बाद, देश में क्या बदलाव आएगा, यह एक बड़ा सवाल है. यदि CCP शी जिनपिंग का विकल्प ढूंढने में सफल होती है, तो यह चीन की राजनीति के लिए एक नया मोड़ हो सकता है. हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि क्या चीन की सेना और अन्य राजनीतिक निकाय इस बदलाव को सहर्ष स्वीकार करेंगे, या फिर सत्ता संघर्ष का सामना करना पड़ेगा.
अंत में, यह कहा जा सकता है कि शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष और उनका विकल्प तलाशने की प्रक्रिया चीन की राजनीतिक स्थिति को पूरी तरह से बदल सकती है. दुनिया भर की नजरें अब इस घटनाक्रम पर लगी हुई हैं, क्योंकि यह न सिर्फ चीन के भविष्य को आकार देगा, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा.
यह भी पढ़ें: चीन पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत ने किया सवाल, तो दौड़े चले आए मुल्ला मुनीर! बोले- वो दोस्त है...