भारत और चाइना साथ-साथ, सही तरीके से...टैरिफ धमकियों के बीच ट्रंप को ड्रैगन की ललकार!

    डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैक्स बढ़ाने के कुछ ही दिनों बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्तों में फिर से सुधार के संकेत मिलने लगे हैं. चीन ने गुरुवार को यह जताया कि वह भारत के साथ नजदीकी सहयोग और राजनीतिक विश्वास को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.

    China Ready to talk and work with india build trust on india amid tariff tensions
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    डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैक्स बढ़ाने के कुछ ही दिनों बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्तों में फिर से सुधार के संकेत मिलने लगे हैं. चीन ने गुरुवार को यह जताया कि वह भारत के साथ नजदीकी सहयोग और राजनीतिक विश्वास को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.

    चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जिआन ने कहा कि चीन भारत के साथ मतभेदों को सही ढंग से हल करने और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर है. उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को व्यापक दृष्टिकोण से देखने और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया.

    भारत की पहल

    भारत की ओर से भी कदम उठाए जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि भारत सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है. यह व्यापार 2020 में गलवान घाटी विवाद के बाद पांच साल से बंद था. दोनों देश विशेष व्यापार मार्गों—लिपुलेख पास (उत्तराखंड), शिपकी ला पास (हिमाचल प्रदेश), और नाथू ला पास (सिक्किम)—के जरिए व्यापार को फिर से बहाल करने पर काम कर रहे हैं.

    उच्च स्तरीय कूटनीतिक बैठक

    आगामी सप्ताह चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर आएंगे. वे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से सीमा विवादों पर बातचीत करेंगे. यह गलवान संघर्ष के बाद पहली उच्च स्तरीय बैठक होगी और द्विपक्षीय संबंधों में अहम मोड़ साबित होगी.

    हवाई संपर्क और कनेक्टिविटी

    कोविड-19 महामारी के बाद दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं बंद थीं. अब भारत की एयरलाइंस को उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इससे दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बहाल होगी और आर्थिक व कूटनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी.

    आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग

    दोनों देशों द्वारा व्यापार और संवाद को फिर से शुरू करने के प्रयास सहयोग बढ़ाने और तनाव कम करने की दिशा में अहम कदम हैं. यह पहल न केवल स्थिरता और विकास की संभावनाओं को बढ़ाएगी, बल्कि दीर्घकालिक साझेदारी का भी संकेत देती है.

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