चीन के पास भारत से डबल है S400, इतरा रहा ड्रैगन! भारत की LRLACM मिसाइल करेगी दुश्मन को खाक

    रूस निर्मित एस-400 प्रणाली दुनिया का सबसे उन्नत हवाई रक्षा तंत्र माना जाता है, जो न केवल अपनी शक्तिशाली रेंज और क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि किसी भी दुश्मन के हमले को निष्क्रिय करने में सक्षम है. हाल ही में, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 की प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया

    China have double s400 indian army will fight with lrlacm missile
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    रूस निर्मित एस-400 प्रणाली दुनिया का सबसे उन्नत हवाई रक्षा तंत्र माना जाता है, जो न केवल अपनी शक्तिशाली रेंज और क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि किसी भी दुश्मन के हमले को निष्क्रिय करने में सक्षम है. हाल ही में, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 की प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया. लेकिन, सवाल यह है कि अगर भविष्य में भारत और चीन के बीच मुठभेड़ होती है तो क्या भारत इस उन्नत रक्षा कवच को तोड़ सकेगा? इस मुद्दे को समझने से पहले, आइए जानते हैं कि भारत और चीन दोनों के पास कितने एस-400 सिस्टम हैं और ये कितने प्रभावी हैं.

    चीन के पास एस-400

    चीन ने 2014 में रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के छह स्क्वाड्रन 3 अरब डॉलर की कीमत पर खरीदे थे. 2018 में इसकी डिलीवरी शुरू हुई और अब तक चीन ने सभी छह स्क्वाड्रन प्राप्त कर लिए हैं. यह सिस्टम चीन ने मुख्य रूप से भारत के साथ लगी सीमा और दक्षिण चीन सागर में तैनात किया है. एस-400 की रेंज 400 किमी तक होती है, जो इसे एक शक्तिशाली प्रणाली बनाती है, capable of destroying stealth fighters, cruise missiles, and ballistic missiles from a great distance. इसके अलावा, चीन ने इस प्रणाली में कुछ बदलाव भी किए हैं, जो अभी तक गोपनीय हैं, और यह विशेष रूप से भारत से लगे क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

    भारत के पास एस-400

    भारत ने 2018 में रूस के साथ 35,000 करोड़ रुपये में पांच स्क्वाड्रन एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदे थे. अब तक भारत को तीन स्क्वाड्रन की डिलीवरी हो चुकी है और दो और स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2026 तक होने की उम्मीद है. पहले एस-400 रेजिमेंट को पंजाब में तैनात किया गया था, जो पाकिस्तान से लगी सीमा को कवर करता है. दूसरे और तीसरे स्क्वाड्रन की तैनाती असम और राजस्थान में की गई है. भारत का एस-400 चीन के मुकाबले उन्नत माना जाता है, क्योंकि भारतीय सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट कर सकता है. इसके अतिरिक्त, भारत ने एस-400 में कुछ बदलाव किए हैं, जिसे "सुदर्शन चक्र" नाम दिया गया है.

    एस-400 को भेदना

    एस-400 जैसे उन्नत डिफेंस सिस्टम को भेदना आसान नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है. इसको भेदने के लिए अत्यधिक उन्नत मिसाइलों की आवश्यकता होती है. भारत इस दिशा में अपने लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का विकास कर रहा है.

    यह मिसाइल, जो कि डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है, 1000 से 1500 किमी तक की रेंज प्रदान करती है और यह पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियारों को ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल का सबसे महत्वपूर्ण फीचर यह है कि यह कम ऊंचाई पर यात्रा करती है, जिससे यह एस-400 के रडार से बचने में सक्षम हो सकती है. इसके स्टील्थ डिजाइन और उन्नत एवियोनिक्स की वजह से इसे एस-400 द्वारा ट्रैक किया जाना बेहद कठिन हो सकता है. इसके अलावा, इस मिसाइल में लगे इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर और डिकॉय सिस्टम एस-400 की ट्रैकिंग क्षमता को बाधित कर सकते हैं.

    एक साथ हमला

    अगर एक साथ बड़ी संख्या में LRLACM मिसाइलें एस-400 पर दागी जाएं, तो विशेषज्ञों का मानना है कि एस-400 पूरी तरह से फेल हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि एस-400 के पास कई लेयर डिफेंस होते हैं, लेकिन अगर उसे बहुत जल्दी कई मिसाइलों की जानकारी मिलती है, तो उसकी क्षमता पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है.

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