बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन के परिणामस्वरूप नक्सलियों की कमर टूट चुकी है. हिडमा के एनकाउंटर के बाद बड़े नक्सली नेता भी घबराए हुए हैं, और अब कई नक्सली खुद ही आत्मसमर्पण कर रहे हैं. हाल ही में, बीजापुर में एक साथ 41 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है. इनमें से 32 नक्सलियों पर 1.19 करोड़ रुपये का इनाम था. यह आत्मसमर्पण एक बड़ी सफलता है और दिखाता है कि सुरक्षाबल और सरकार की नीतियां नक्सलवाद के खिलाफ प्रभावी हो रही हैं.
मुख्यधारा में लौटने का संकल्प
बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले 41 नक्सलियों में से 12 महिलाएं भी शामिल हैं. इन नक्सलियों ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया. एसपी जितेंद्र कुमार यादव के अनुसार, ये नक्सली सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हिंसा छोड़ने का निर्णय लिया. पुलिस ने बस्तर रेंज के 'पुनामार्गम' अभियान को भी आत्मसमर्पण का एक प्रमुख कारण बताया, जो नक्सलियों को समाज में फिर से शामिल होने का अवसर प्रदान करता है.
सरकार की पुनर्वास नीति से नक्सलियों का विश्वास बढ़ा
इस आत्मसमर्पण से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की नीतियां नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने में कारगर साबित हो रही हैं. नक्सलियों को यह विश्वास दिलाया जा रहा है कि वे अगर हिंसा का रास्ता छोड़ते हैं तो समाज में उनका स्वागत है. पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा किए गए ऑपरेशनों के साथ-साथ सरकार की 'पुनर्वास नीति' भी नक्सलवाद के खिलाफ एक मजबूत हथियार बनकर उभरी है.
नक्सलियों को मिलने वाली नई उम्मीदें
बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 32 पर 1.19 करोड़ रुपये का इनाम था, जो उनकी सख्ती और आतंक को दर्शाता है. लेकिन अब सरकार की 'पुनामार्गम' नीति के तहत इन्हें नए जीवन का अवसर मिल रहा है. यह नीति नक्सलियों को न केवल समाज में फिर से स्थान दिलाने की कोशिश करती है, बल्कि उन्हें स्वावलंबी, सम्मानजनक और सुरक्षित भविष्य का भी आश्वासन देती है. बिलासपुर एसपी के अनुसार, यह नीति माओवादियों को हिंसा और भ्रामक विचारधाराओं से मुक्त कर समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है.
हाल की पुलिस कार्रवाइयों से मिली बड़ी सफलता
बीजापुर जिले में हाल के दिनों में कई बड़े नक्सली कमांडरों का एनकाउंटर किया गया है, जिससे नक्सलियों में दहशत फैल गई है. इसके साथ ही, कई नक्सलियों ने बिना किसी दबाव के हथियार डाल दिए हैं. सरकार की यह नीति अब नक्सलियों को हिंसा की जगह एक नया जीवन देने की दिशा में सफल हो रही है, और बीजापुर का आत्मसमर्पण इस दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.
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