Chhath Puja 2025: सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का चार दिवसीय पवित्र पर्व, जानें तैयारी और सामग्री की पूरी सूची

    Chhath Puja Items List: छठ पूजा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो दिवाली के बाद आता है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह उत्सव आस्था, तपस्या और परिवार के प्रति प्रेम का अद्भुत मिश्रण है. इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) से शुरू हो रही है.

    Chhath Puja 2025 Four-day holy festival of worship of Sun God and Chhathi Maiya
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    Chhath Puja Items List: छठ पूजा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो दिवाली के बाद आता है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह उत्सव आस्था, तपस्या और परिवार के प्रति प्रेम का अद्भुत मिश्रण है. इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) से शुरू हो रही है.

    छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक एकता को बढ़ाने वाला भी है. व्रती इस पर्व के दौरान पूरी श्रद्धा, संयम और नियम पालन के साथ उपवास रखते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

    छठ पूजा 2025 की चार दिवसीय विधियाँ

    छठ पूजा चार मुख्य चरणों में मनाई जाती है: नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य. प्रत्येक चरण का अपना महत्व और रीति-रिवाज है.

    पहला दिन- नहाय-खाय (25 अक्टूबर, शनिवार)

    छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती महिलाएं प्रातःकाल नदी, तालाब या किसी स्वच्छ जलाशय में स्नान करती हैं. इसके बाद सात्विक और शुद्ध भोजन किया जाता है, जो उपवास और पूजा की तैयारी के लिए शक्ति प्रदान करता है. पारंपरिक रूप से लौकी-भात या चने की दाल और अरवा चावल का सेवन किया जाता है. यह दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

    दूसरा दिन- खरना (26 अक्टूबर, रविवार)

    छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं. सूर्यास्त के बाद व्रती अपने घर में या घाट पर गुड़ की खीर और गेहूं के आटे की रोटी बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं. यह प्रसाद स्वयं ग्रहण करने के बाद 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत की शुरुआत होती है. खरना का दिन संयम, अनुशासन और तपस्या का प्रतीक है.

    तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)

    तीसरे दिन व्रती और उनका परिवार संध्या के समय घाटों पर इकट्ठा होते हैं. इस दिन ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. घाटों पर दीपों की सजावट, छठी मैया के गीतों की गूंज और श्रद्धालुओं की एकाग्र आस्था, एक दिव्य और मनोहर वातावरण निर्मित करती है. व्रती सूप में फल, ठेकुआ, नारियल और अन्य प्रसाद सजाकर सूर्य को अर्पित करती हैं. यह दिन विशेष रूप से भक्ति और परिवारिक सहयोग का प्रतीक है.

    चौथा दिन- उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार)

    अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है, जब प्रातःकाल उगते हुए सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. यह दिन छठ पूजा का सबसे भावनात्मक और पवित्र क्षण माना जाता है. व्रती अपने परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और समग्र कल्याण की कामना करती हैं. सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद व्रत का समापन होता है.

    छठ पूजा 2025 के लिए आवश्यक सामग्री

    छठ पूजा की सफलता और पूर्णता के लिए कुछ विशिष्ट सामग्री की तैयारी आवश्यक है. व्रती इन्हें शुद्धता और श्रद्धा के साथ इस्तेमाल करते हैं. इस वर्ष छठ पूजा 2025 के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं:

    5 पत्ते लगे हुए गन्ने

    2 बांस की बड़ी टोकरियां

    लोटा, थाली और चम्मच

    पानी वाला नारियल

    गिलास, दूध और जल

    केला, पान और सुपारी

    सुथनी, शरीफा, शकरकंदी, हल्दी, अदरक का हरा पौधा

    नाशपाती, मूली, डाभ, नींबू, सिंघाड़ा, चावल, गुड़, मिठाई, ठेकुआ

    गेहूं, शहद, सिंदूर, दीपक, कलावा, धूप, फूल-माला, कुमकुम

    नई साड़ी

    छठी मैया को विशेष रूप से चावल, चना, सात प्रकार के फल, गुड़, घी का ठेकुआ और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये वस्तुएं अर्पित करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और परिवार की समृद्धि प्राप्त होती है.

    छठ पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

    छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार, समाज और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता भी सिखाती है. सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और छठी मैया की आराधना से व्रती धैर्य, संयम और मानसिक शक्ति विकसित करते हैं. घाटों पर दीपों की रोशनी और व्रतियों की भक्ति का दृश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की विशेष पहचान बन गया है.

    छठ पूजा में परिवार के सभी सदस्य मिलकर सामूहिक श्रद्धा और सहयोग का अनुभव करते हैं. यह पर्व जीवन में अनुशासन, संयम और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को भी मजबूत करता है.

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