नई दिल्ली: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में लोकसभा में सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के एक सवाल का जवाब देते हुए देश में टोल प्लाजा से हो रही कमाई का खुलासा किया है. इसके अनुसार, भारत में 1,087 टोल प्लाजाओं से हर दिन करीब 168 करोड़ रुपये की वसूली हो रही है. इस जानकारी ने टोल वसूली के महत्व और इसकी भूमिका को स्पष्ट किया है.
टोल वसूली: एक विस्तृत चित्र
केंद्र सरकार ने बताया कि देश भर में टोल वसूली के लिए 1,087 टोल प्लाजा काम कर रहे हैं. इन प्लाजाओं से रोजाना 168.24 करोड़ रुपये की आय हो रही है, जो कि हर साल बढ़ती जा रही है. वर्ष 2024-25 में अनुमानित टोल आय 61,408.15 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. इसमें सार्वजनिक निधि वाले प्लाजा से 28,823.74 करोड़ रुपये और निजी ऑपरेटरों के टोल प्लाजाओं से 32,584.41 करोड़ रुपये का वसूल किया जाएगा.
बुढ़नपुर-वाराणसी सड़क परियोजना का विवरण
इसके अलावा, सरकार ने बुढ़नपुर–वाराणसी सड़क परियोजना का भी विवरण दिया, जिसमें बताया गया कि इस परियोजना की कुल लागत 5,746.97 करोड़ रुपये है. इस सड़क का निर्माण दो हिस्सों में किया गया है: बुढ़नपुर से गोंसाई की बाजार बायपास तक और गोंसाई की बाजार बायपास से वाराणसी तक. अब तक इस सड़क के निर्माण से 73.47 करोड़ रुपये की टोल वसूली हो चुकी है.
टोल वसूली का उद्देश्य
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि टोल वसूली केवल सड़क की लागत को कवर करने के लिए नहीं होती, बल्कि यह एक उपयोग शुल्क है. नियमों के अनुसार, विभिन्न सरकारी और निजी परियोजनाओं के लिए टोल की दरें और अवधि निर्धारित की जाती हैं. सरकार ने यह भी बताया कि वसूली से मिलने वाला राजस्व केंद्रीय समेकित निधि (Consolidated Fund of India) में जाता है, जिससे नई सड़कों का निर्माण और उनकी मरम्मत की जाती है.
टोल-फ्री हाईवे की कोई योजना नहीं
सरकार ने लोकसभा में यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल-फ्री बनाने की कोई योजना नहीं है. वसूली के जरिए जो राजस्व प्राप्त होता है, वह सड़क नेटवर्क के विकास और रखरखाव के लिए उपयोग किया जाता है. सरकार ने बताया कि BOT (Build-Operate-Transfer) परियोजनाओं में निर्धारित अवधि के बाद टोल सरकार को सौंप दिया जाता है, और सरकारी सड़कों पर टोल वसूली लगातार जारी रहती है और हर साल इसे संशोधित किया जाता है.
सड़क निर्माण की लागत और कर वसूली
सड़क निर्माण की दैनिक लागत के बारे में सरकार ने कहा कि यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे इलाके का भू-भाग, ऊंचाई, पुल निर्माण, सामग्री, और ट्रैफिक भार. इन खर्चों का अनुमान लगाने के लिए सरकार ने एक IT टूल तैयार किया है, जो तकनीकी डेटा के आधार पर अनुमानित लागत का निर्धारण करता है. इसके अलावा, सरकार ने यह भी बताया कि नागरिकों से सड़क निर्माण के लिए दो तरीके से कर वसूला जाता है: पहला, यूजर फी (टोल) के रूप में, जो सड़क पर यात्रा करने वाले लोगों से लिया जाता है, और दूसरा, ईंधन पर लगाए गए सेस के रूप में, जो केंद्रीय सड़क और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (CRIF) में जमा होते हैं.
टोल वसूली का उद्देश्य
कुल मिलाकर, सरकार ने यह स्पष्ट किया कि टोल वसूली का उद्देश्य केवल सड़क की लागत को कवर करना नहीं है, बल्कि इसका मकसद सड़कों के उपयोग के लिए शुल्क लेना और उस राशि से देश भर के सड़क नेटवर्क को मजबूत बनाना है.
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