नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आने वाला है. देश की हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी परियोजना ‘सुदर्शन चक्र’ पर काम शुरू हो चुका है. भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पहली बार इस परियोजना पर खुलकर बात की और इसे भविष्य के युद्धों के लिए भारत की "ढाल और तलवार" करार दिया.
क्या है ‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना?
यह एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य भारत को हवाई खतरों से सुरक्षित करना है. इस प्रणाली के तहत दुश्मन के ड्रोन, फाइटर जेट, मिसाइलें और अन्य हवाई हथियारों की पहचान कर उन्हें रोकने और नष्ट करने की व्यवस्था विकसित की जाएगी.
CDS चौहान ने बताया कि ‘सुदर्शन चक्र’ न केवल भारत की सैन्य परिसंपत्तियों, बल्कि सिविल और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों को भी सुरक्षा प्रदान करेगा. यह प्रणाली रक्षा के साथ-साथ आक्रामक भूमिका भी निभाएगी, अर्थात ये शत्रु के हमलों को रोकने के साथ जवाबी कार्रवाई करने में भी सक्षम होगी.
इजरायल के 'आयरन डोम' की तर्ज पर तैयार होगा
जनरल चौहान ने संकेत दिया कि यह प्रणाली इजरायल की ‘आयरन डोम’ की तरह होगी, जो दुनियाभर में एक सशक्त और प्रभावशाली वायु सुरक्षा प्रणाली के रूप में जानी जाती है. हालांकि भारत की जरूरतें और भूगोल अलग हैं, इसलिए इसकी रूपरेखा भारतीय परिप्रेक्ष्य के अनुसार तैयार की जा रही है.
CDS ने इसे ‘भारत का अपना आयरन डोम या गोल्डन डोम’ करार दिया और बताया कि इसका विकास एक सामूहिक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में किया जाएगा, जिससे इसे कम से कम लागत में अधिकतम प्रभावशाली बनाया जा सके.
2035 तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन के दौरान इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. उन्होंने बताया कि 'सुदर्शन चक्र' परियोजना एक 10 वर्षीय योजना के तहत बनाई गई है, जिसे वर्ष 2035 तक पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है.
'रण संवाद 2025' में पहली बार सामने आया खाका
CDS चौहान ने यह जानकारी मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित 'रण संवाद 2025' नामक संयुक्त रक्षा संगोष्ठी के दौरान दी. यह सम्मेलन भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के शीर्ष अधिकारियों की संयुक्त रणनीति और भविष्य की सैन्य तैयारियों पर केंद्रित था.
इस अवसर पर जनरल चौहान ने ‘सुदर्शन चक्र’ की संरचना, इसमें शामिल टेक्नोलॉजी, हथियार प्रणाली, निगरानी उपकरण, खुफिया नेटवर्क और सामरिक रणनीति की जरूरतों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी हुआ उल्लेख
अपने संबोधन में CDS ने एक नए और हाल ही में हुए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि इस अभियान से भारत ने कई अहम सबक सीखे हैं, जिनमें से कई पर अमल शुरू हो चुका है. यद्यपि इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इससे भारत की रक्षा नीति में कई नई चीजें जुड़ी हैं.
भविष्य के युद्ध और संयुक्त रणनीति की ज़रूरत
जनरल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा. युद्ध के मैदान में तकनीक, ड्रोन, साइबर हथियार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाएगी. उन्होंने तीनों सेनाओं से आह्वान किया कि वे आपसी तालमेल और त्वरित, निर्णायक प्रतिक्रिया देने की क्षमता को मजबूत करें.
पाकिस्तान से खतरे का भी किया गया ज़िक्र
दिलचस्प बात यह है कि 'सुदर्शन चक्र' की आधिकारिक जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब कुछ सप्ताह पहले पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर ने भारत की सीमावर्ती परिसंपत्तियों पर हमले का संकेत दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने गुजरात की जामनगर स्थित रिलायंस रिफाइनरी जैसे संवेदनशील ठिकानों का उल्लेख किया था.
ऐसे में ‘सुदर्शन चक्र’ प्रणाली भारत की उन कमजोरियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिन पर दुश्मन निगाहें लगाए बैठा है.
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