CBSE News: अब तक देश के कई निजी स्कूलों में एक आम दृश्य था—कक्षा में अंग्रेजी बोलने पर जोर और हिंदी या किसी अन्य मातृभाषा में संवाद करने पर रोक-टोक. पर अब यह तस्वीर बदलने जा रही है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा में स्थान देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है.
CBSE ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों की मातृभाषा की पहचान करें और इसे शिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा बनाएं. बोर्ड का मानना है कि बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास की मजबूत नींव तभी रखी जा सकती है जब उन्हें अपनी घरेलू भाषा में सोचने, समझने और अभिव्यक्त करने का अवसर मिले.
मातृभाषा बनेगी शिक्षा की पहली सीढ़ी
CBSE की इस नई गाइडलाइन के तहत, अब प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक की शिक्षा को ‘फाउंडेशनल स्टेज’ यानी मूलभूत चरण माना जाएगा. इस चरण में बच्चों को उसी भाषा में पढ़ाया जाएगा जो उनके घर की बोली या क्षेत्रीय भाषा हो. इसे ‘R1 भाषा’ का नाम दिया गया है. इस कदम का उद्देश्य न केवल शुरुआती शिक्षा को सरल बनाना है, बल्कि बच्चों को एक ऐसी भाषाई पहचान देना भी है जो उनके लिए सहज और भावनात्मक रूप से जुड़ी हो.
स्कूलों को मई के अंत तक करनी होगी तैयारी
CBSE ने अपने सर्कुलर में सभी स्कूलों से आग्रह किया है कि वे मई माह के अंत तक ‘NCF कार्यान्वयन समिति’ का गठन करें. यह समिति छात्रों की मातृभाषा का डेटा एकत्र करेगी और स्कूल स्तर पर ‘लैंग्वेज मैपिंग’ प्रक्रिया को अंजाम देगी.
शिक्षा में भाषाई विविधता को मिलेगा सम्मान
CBSE का यह फैसला न केवल बच्चों के भाषा कौशल को निखारेगा, बल्कि देश की भाषाई विविधता को भी शिक्षा व्यवस्था में उचित स्थान देगा. इससे शिक्षा का स्तर तो बेहतर होगा ही, साथ ही बच्चों की सोच और समझ भी गहराई से विकसित होगी. अगर आप चाहें तो मैं इस कंटेंट से सोशल मीडिया पोस्ट या WhatsApp चैनल के लिए शॉर्ट वर्जन भी बना सकता हूँ.
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