Caste Census: भारत की बहुप्रतीक्षित जनगणना प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा निर्णय सामने आया है. जनगणना अधिनियम 1948 के तहत 16 जून 2025 को अधिसूचना जारी होते ही देश में जनगणना 2027 की आधिकारिक तैयारियों की शुरुआत हो जाएगी. इस बार जनगणना की खास बात यह है कि जातिगत आंकड़ों को भी पहली बार औपचारिक रूप से शामिल किया जा रहा है, जिससे यह जनगणना सामाजिक दृष्टि से ऐतिहासिक मानी जा रही है.
दो चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया, मार्च 2027 को तय होगी 'संदर्भ तिथि'
इस व्यापक अभियान को दो चरणों में अंजाम दिया जाएगा. पहला चरण: प्रारंभिक तैयारियां जैसे स्टाफ की नियुक्ति, प्रशिक्षण, और फार्मेट डिज़ाइन यह चरण 1 फरवरी 2027 तक पूरा किया जाएगा. दूसरा चरण: व्यापक फील्डवर्क और डेटा संग्रह यह फरवरी 2027 के अंत तक संपन्न होगा. जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि तय की गई है.
इसी दिन के आंकड़ों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा, और इसके बाद डेटा का विश्लेषण व सार्वजनिक प्रकटीकरण शुरू होगा. पहाड़ों में पहले होगी जनगणना: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड में अक्टूबर 2026 तक कार्य पूर्ण खास भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हिमालयी राज्यों में यह प्रक्रिया अन्य क्षेत्रों की तुलना में पहले पूरी की जाएगी. जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में अक्टूबर 2026 तक जनगणना कार्य संपन्न होगा.
जातिगत आंकड़ों को लेकर सरकार ने बदली नीति, कैबिनेट समिति ने दी मंजूरी
केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को शामिल करने की नीति को स्वीकृति दी है. यह निर्णय कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) ने लिया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा करते हुए इसे सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार की जनगणना पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी, ताकि सटीक सामाजिक डेटा प्राप्त हो सके जो वंचित वर्गों की बेहतरी में उपयोगी सिद्ध हो.
जातिगत गणना की वर्षों पुरानी मांग अब होगी पूरी
जातिगत आधार पर जनगणना की मांग देश में लंबे समय से उठती रही है. कांग्रेस, INDIA गठबंधन और क्षेत्रीय दलों ने इस पर बार-बार जोर दिया है. कर्नाटक सरकार द्वारा हाल ही में कराए गए राज्य स्तरीय जातिगत सर्वे में कई समुदायों ने पक्षपात की शिकायत की थी, जिससे यह विषय और अधिक चर्चा में आया.
कोविड ने रोका था काम, अब नए सिरे से होगी शुरुआत
गौरतलब है कि भारत में अगली जनगणना अप्रैल 2020 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया. यदि प्रक्रिया तय समय पर पूरी होती, तो अंतिम रिपोर्ट 2021 तक सामने आ जाती.
क्यों खास है 2027 की जनगणना?
यह जनगणना महज जनसंख्या की गिनती नहीं होगी, बल्कि इससे मिलेंगे. वास्तविक सामाजिक व आर्थिक आंकड़े. नीति निर्धारण के लिए मजबूत आधार. आरक्षण व कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता. समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में नई सोच.
पिछली जनगणना: 2011 में हुआ था अंतिम सर्वेक्षण
भारत की आखिरी जनगणना 2011 में दो चरणों में हुई थी — मकान सूचीकरण और जनगणना. इसके बाद 2021 में अगली जनगणना की पूरी तैयारी थी, जो महामारी के चलते रोक दी गई.
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