भाषा विवाद पर मायावती का बयान, हिंदी को छोड़कर जानिए किस लैंग्वेज की पैरवी की? कर डाली ये बड़ी मांग

    Mayawati on language Row:  बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को जनगणना, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक विवादों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. बसपा सुप्रीमों ने इन सभी मुद्दों पर चिंता जताई है.

    भाषा विवाद पर मायावती का बयान, हिंदी को छोड़कर जानिए किस लैंग्वेज की पैरवी की? कर डाली ये बड़ी मांग
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    Mayawati on language Row:  बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को जनगणना, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक विवादों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. बसपा सुप्रीमों ने इन सभी मुद्दों पर चिंता जताई है. बसपा सुप्रीमो मायावता ने कहा कि इनका सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

    पूरे देश को लेकर चलें

    मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'यह स्वाभाविक है कि जनगणना और उसके आधार पर लोकसभा सीटों के पुनर्आवंटन, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने आदि को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच इन विवादों का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किए जाने से सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित प्रभावित होंगे. सुशासन वह है जो संविधान के अनुसार पूरे देश को साथ लेकर चले.' 

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    सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा पर दिया जाए जोर

    इसके साथ ही मायावती ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों, खासकर हाशिए के समुदायों, खासकर दलितों, आदिवासियों के सामने आने वाली समस्याओं को उजागर किया है. बसपा सुप्रीमो ने सरकार से अंग्रेजी शिक्षा पर अपने रुख का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया है. 

    अंग्रेजी का ज्ञान हासिल किए बिना नहीं बढ़ सकते आगे

    मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'वैसे भी सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे, खासकर शोषित और उपेक्षित गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बच्चे, अंग्रेजी का ज्ञान हासिल किए बिना आईटी और कौशल क्षेत्रों में कैसे आगे बढ़ सकते हैं. भाषा के प्रति नफरत अनुचित है.'देश में इन दिनों भाषा को लेकर राजनीति गरमा गई है। इसी कड़ी में अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने भी अपनी आवाज़ बुलंद की है। उन्होंने साफ कहा है कि भाषा का मुद्दा सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और अवसर से भी जुड़ा हुआ है।