Arunachal Pradesh Roads: एक दौर था जब भारत के उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्र को देश की “कमजोर कड़ी” कहा जाता था. लेकिन अब समय बदल गया है. अब भारत न सिर्फ इन सीमाओं को फौलादी कवच देने में जुटा है, बल्कि चीन जैसे विस्तारवादी देश को उसकी ही भाषा में जवाब देने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है.
भारत अब चीन की हर चाल को उसी के मोर्चे पर मात देने की तैयारी में है. अरुणाचल प्रदेश में 1465 किलोमीटर लंबा ‘फ्रंटियर हाइवे’ (NH-913) बन रहा है, जो मैकमोहन लाइन के समानांतर होकर गुजरेगा. यह सड़क तवांग के पास मोगो से शुरू होकर म्यांमार सीमा से सटे विजय नगर तक जाएगी. इस हाइवे की सबसे खास बात ये है कि यह चीन द्वारा बनाए गए तथाकथित ‘घोस्ट विलेज’ यानी खाली गांवों के नज़दीक से होकर गुजरेगा.
BRO की कमान, सुरक्षा की नई तस्वीर
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) इस मिशन को अंजाम दे रही है. BRO को 531 किमी सड़क बनाने की जिम्मेदारी मिली है, जिसकी शुरुआत 2024 से हो चुकी है. उदाहरण के तौर पर कायिंग से टेटो के बीच फॉर्मेशन कटिंग का काम जोरों पर है. इस हाइवे के बनने से न केवल रणनीतिक दृष्टि से भारत की ताकत बढ़ेगी, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को भी पहली बार बेहतर सड़क सुविधा मिलेगी.
27 हजार करोड़ से बनेगा रोड नेटवर्क, 40 हजार करोड़ का मेगा प्लान
फ्रंटियर हाइवे ही नहीं, इसके साथ ट्रांस अरुणाचल हाइवे और ईस्ट-वेस्ट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी जोड़ दिए जाएंगे. इन तीनों को आपस में जोड़ने के लिए 6 इंटर-कॉरिडोर हाइवे बनाए जा रहे हैं, जिनकी लंबाई 1048 किमी है और उन पर ₹15,720 करोड़ खर्च किए जाएंगे. इस प्रकार कुल मिलाकर ₹40,000 करोड़ की लागत से 2500 किमी की डबल लेन सड़कें तैयार की जाएंगी. इससे सीमा क्षेत्रों तक सालभर, हर मौसम में पहुंच संभव हो सकेगी.
4 साल में 405 प्रोजेक्ट्स का रिकॉर्ड, BRO की ताबड़तोड़ कार्रवाई
BRO ने पिछले 4 वर्षों में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 405 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं. इनमें सड़कों से लेकर पुल, टनल और हैलीपैड तक शामिल हैं.
सालाना प्रोजेक्ट समर्पण:
2021: 102 प्रोजेक्ट
2022: 103 प्रोजेक्ट
2023: 125 प्रोजेक्ट
2024: 75 प्रोजेक्ट (अब तक)
ये आंकड़े बताते हैं कि BRO ने सीमाओं को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
क्लास-70 ब्रिज और भारी सैन्य तैयारियां
अब एलएसी (LAC) तक जाने वाली सड़कों पर जितने भी ब्रिज बनाए जा रहे हैं, वे क्लास-70 कैपेसिटी के होंगे, यानी इनसे 70 टन वजनी टैंक और भारी सैन्य उपकरण आसानी से सीमा तक भेजे जा सकते हैं. यह भारत के डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को चीन के मुकाबले अधिक चुस्त और दुरुस्त बना रहा है.
नई तकनीक ने दी रफ्तार
ऊंचे पहाड़, बर्फबारी और सीमित कार्यकाल, इन सबके बावजूद BRO ने नई निर्माण तकनीकों की मदद से सड़कें और टनल समय पर पूरी कर दिखाया है. अब मशीनें हाई एल्टीट्यूड पर भी काम करने में सक्षम हैं, जिससे निर्माण की गति में जबरदस्त तेजी आई है.
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