भारत की स्वदेशी सैन्य तकनीक को वैश्विक बाजार में स्थापित करने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है. ब्राजील ने भारत की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली 'आकाश' की खरीद पर बातचीत फिलहाल स्थगित कर दी है. यह निर्णय भारत के रक्षा निर्यात अभियान के लिए एक झटका माना जा रहा है, खासकर तब, जब सरकार इसे आत्मनिर्भर भारत के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही थी. सूत्रों के अनुसार, ब्राजील की सेना ने ‘आकाश’ के कुछ महत्वपूर्ण ऑपरेशनल मापदंडों में प्रदर्शन को अपेक्षा से कमजोर पाया है, विशेष रूप से आधुनिक युद्ध के बदलते मिजाज के अनुरूप.
क्यों टूटा भरोसा 'आकाश' पर?
ब्राजीलियाई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली तेज रफ्तार और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को भेदने में सक्षम नहीं दिखी. मौजूदा दौर में जहां ड्रोन हमले, सटीक निर्देशित बम और हाई-टेक एयर स्ट्राइक्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, ब्राजील की सेना को यह प्रणाली इन आधुनिक खतरों से निपटने के लिए तकनीकी रूप से अधूरी लगी. इस वजह से अब ब्राजील की नजर यूरोपीय रक्षा कंपनी MBDA पर टिकी है, जो EMADS (Enhanced Modular Air Defence Solutions) सिस्टम ऑफर कर रही है. यह प्रणाली नाटो सेनाओं में पहले से इस्तेमाल हो रही है और इसकी कार्यकुशलता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित है.
1 अरब डॉलर की डील, भारत से छिन गई संभावित साझेदारी
ब्राजील और MBDA के बीच चल रही बातचीत की अनुमानित कीमत 1 अरब अमेरिकी डॉलर बताई जा रही है, जो कि लैटिन अमेरिका में अब तक की सबसे बड़ी वायु रक्षा डील्स में गिनी जा रही है. यह सौदा तय होता है, तो भारत की रक्षा डिप्लोमेसी को बड़ा नुकसान हो सकता है.
आत्मनिर्भर भारत की राह में अंतरराष्ट्रीय भरोसे की चुनौती
भारत ने ‘आकाश’ को अपने घरेलू रक्षा उत्पादन का एक उदाहरणात्मक मॉडल बताया है और इसे वैश्विक बाजार में भी उतारने का प्रयास किया गया है. हालांकि, ब्राजील का यह कदम दिखाता है कि स्वदेशी तकनीक को वैश्विक मानकों तक पहुंचाने के लिए अभी और मेहनत की जरूरत है. विदेशी सेनाएं फिलहाल उन प्रणालियों को प्राथमिकता देती हैं, जिनकी कार्यक्षमता नाटो स्तर की हो और युद्धक्षेत्र में पहले से परखी जा चुकी हो.
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