अहमदाबाद: गुरुवार को एयर इंडिया के एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के क्रैश होने की खबर से विमानन जगत में गहरी चिंता छा गई. अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुए इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे. टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान हादसे का शिकार हो गया.
15 साल में पहला बड़ा हादसा
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को आधुनिक और सुरक्षित विमानों में गिना जाता है. 2009 में पहली बार उड़ान भरने और 2011 से कमर्शियल सेवा में आने के बाद से यह विमान दुनिया भर में करीब 15 वर्षों से उड़ान भर रहा था.
इस पूरे इतिहास में यह पहला मामला है, जब इस मॉडल का कोई विमान क्रैश हुआ है. हालांकि, इस मॉडल को पहले कुछ तकनीकी चुनौतियों जैसे बैटरी फेल्योर और स्ट्रक्चरल गैप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन कोई बड़ा हादसा इससे पहले नहीं हुआ था.
बोइंग 787-8: एक लंबी दूरी का विमान
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट है, जिसे खासतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है.
इसकी खासियतें:
अधिकतम रेंज: 14,000 किलोमीटर
यात्री क्षमता: लगभग 200-250 यात्री
ईंधन दक्षता: पुराने विमानों की तुलना में 20-25% कम ईंधन खपत
इस विमान को बोइंग ने 2003 में "7E7" प्रोजेक्ट के तहत डेवलप करना शुरू किया था और इसे जनता के वोट से 'ड्रीमलाइनर' नाम मिला.
भारत में ड्रीमलाइनर का सफर
भारत में एयर इंडिया ने 2012 में इस विमान को अपने बेड़े में शामिल किया था. ड्रीमलाइनर का इस्तेमाल एयर इंडिया दिल्ली-न्यूयॉर्क, मुंबई-लंदन और टोक्यो जैसे लंबे रूट्स के लिए करती है.
क्या बनाता है ड्रीमलाइनर को खास?
हल्के कम्पोजिट मटेरियल: विमान का करीब 50% हिस्सा कार्बन फाइबर और अन्य हल्के मटेरियल से बना है, जिससे वजन कम और मजबूती ज्यादा होती है.
विशाल खिड़कियां: ड्रीमलाइनर की खिड़कियां किसी भी कमर्शियल विमान में सबसे बड़ी मानी जाती हैं.
बेहतर केबिन प्रेशर: इसमें 1,900 मीटर ऊंचाई जैसा प्रेशर बनाया जाता है, जिससे यात्रियों को ऑक्सीजन ज्यादा मिलती है और थकान कम होती है.
LED लाइटिंग: रंग बदलती लाइट्स टाइम जोन के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं.
शांत केबिन: अन्य विमानों की तुलना में 60% कम शोर.
परफॉर्मेंस और इंजनों की क्षमता
बोइंग 787-8 में दो शक्तिशाली इंजन विकल्प होते हैं: रोल्स-रॉयस ट्रेंट 1000 या जनरल इलेक्ट्रिक GEnx. इसकी क्रूज़ स्पीड लगभग मैक 0.85 होती है और इसके विंगटिप्स को खास तरीके से डिजाइन किया गया है ताकि हवा का प्रतिरोध और टर्बुलेंस कम हो सके.
यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं
आगे की राह
फिलहाल, DGCA ने हादसे की जांच शुरू कर दी है और एयर इंडिया की ओर से तकनीकी समीक्षा भी चल रही है. विमानन सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हादसे के निष्कर्ष न केवल एयर इंडिया बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे.
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