बिहार-ओडिशा-झारखंड बांग्लादेश का हिस्सा... तुर्किए ने भारत में फिर घुसाई नाक; मिलेगा करारा जवाब!

    तुर्किए, जो पहले पाकिस्तान को हथियार देकर भारत-विरोधी रणनीतियों में मदद करता रहा है, अब बांग्लादेश की धरती पर भी सक्रिय हो गया है.

    Bihar-Odisha-Jharkhand part of Bangladesh Turkiye India
    एर्दोगन | Photo: ANI

    दक्षिण एशिया की राजनीतिक सरगर्मियों में एक नया और चिंताजनक मोड़ आया है. अब तुर्किए, जो पहले पाकिस्तान को हथियार देकर भारत-विरोधी रणनीतियों में मदद करता रहा है, अब बांग्लादेश की धरती पर भी सक्रिय हो गया है. नई रिपोर्ट्स बताती हैं कि तुर्किए अब बांग्लादेश में एक इस्लामी संगठन के जरिए भारत के खिलाफ वैचारिक और राजनीतिक साजिश रच रहा है.

    'सल्तनत-ए-बांग्ला': इतिहास के नाम पर विस्तारवादी एजेंडा

    ढाका विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में 'सल्तनत-ए-बांग्ला' (SEM) नामक संगठन ने जो नक्शा जारी किया है, उसने खलबली मचा दी है. इस नक्शे में भारत के बिहार, झारखंड, ओडिशा और समूचे पूर्वोत्तर को 'ग्रेटर बांग्लादेश' का हिस्सा बताया गया है. यह संगठन लगातार बांग्लादेश के युवाओं को इस विचारधारा के प्रति प्रेरित करने की कोशिश कर रहा है.

    SEM का नाम मध्यकालीन बंगाल सल्तनत से लिया गया है, जो 14वीं और 15वीं सदी में भारत और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में फैला मुस्लिम शासित राज्य था. लेकिन आज यह नाम एक नई राजनीतिक आकांक्षा का प्रतीक बन चुका है—एक ऐसा सपना जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खुली चुनौती देता है.

    बांग्लादेश सरकार की चुप्पी या मौन समर्थन?

    खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संगठन को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कुछ वरिष्ठ नेताओं और उनके रिश्तेदारों का समर्थन प्राप्त है. यही नहीं, बेलियाघाटा उपजिला स्थित एक NGO को 'बारावा-ए-बंगाल' नामक उप-शाखा के लिए रसद और भर्ती केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां युवाओं को अलगाववादी विचारधारा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

    एक वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारी के मुताबिक, यह संगठन पहले से प्रतिबंधित इस्लामी संगठनों जैसी ही कार्यप्रणाली अपनाता है, और इसकी वैचारिक जड़ें भी वैसी ही खतरनाक हैं.

    मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथ को बढ़ावा

    बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के कार्यकाल में कट्टरपंथी समूहों को खुली छूट मिल गई है. ढाका जैसे शहरी क्षेत्रों में इनकी गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. बताया जा रहा है कि 'सल्तनत-ए-बांग्ला' तुर्की युवा संघ के बैनर तले संचालित हो रहा है, जो संगठन को वैचारिक और आर्थिक मदद दे रहा है.

    क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा

    एक बांग्लादेशी खुफिया अधिकारी ने चेताया है कि इस संगठन का उदय न केवल भारत, बल्कि पूरी दक्षिण एशिया की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है. 'सल्तनत' का प्रतीकात्मक पुनरुत्थान दरअसल इस्लामिक विस्तारवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश है, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.

    ये भी पढ़ेंः भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच कैसे घुसा चीन? शहबाज को भेजी थी खुफिया जानकारी, नई रिपोर्ट में दावा