बिहार की सियासी फिज़ा में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक गोटियां भी तेजी से बिछाई जा रही हैं. एक ओर इंडिया ब्लॉक ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ के नारे के साथ एकजुट होने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर सहयोगी दलों के भीतर सीटों को लेकर खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है.
झामुमो ने की 12 सीटों की डिमांड
इसी क्रम में झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार की 12 विधानसभा सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश करते हुए स्पष्ट किया है कि अगर गठबंधन में उन्हें वाजिब जगह नहीं दी गई, तो वे स्वतंत्र चुनाव लड़ने का निर्णय लेने के लिए बाध्य होंगे.
इन सीटों की दावेदारी कर रही झामुमो
झामुमो के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय ने यह साफ किया है कि पार्टी बिहार में छोटे भाई की भूमिका निभाने को तैयार है, लेकिन बड़े भाई से सम्मान और हिस्सेदारी की अपेक्षा भी रखती है. पांडेय ने कहा कि जिन 12 सीटों पर झामुमो ने दावा किया है उनमें चकाई, कटोरिया, तारापुर, धमदाहा, कटिहार और पूर्णिया सीट शामिल है. इन सीटों पर पार्टी का जनाधार और संगठनात्मक ताकत मजबूत है.
बिहार में बढ़ रही हेमंत सोरेन की लोकप्रियता
मनोज पांडेय ने यह भी कहा कि बिहार में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता झामुमो को एक राजनीतिक विकल्प के तौर पर मजबूत कर रही है. उनका मानना है कि अगर पार्टी को गठबंधन में उचित जगह नहीं दी गई, तो यह उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ अन्याय होगा.
झामुमो की मांग पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीट बंटवारे का निर्णय इंडिया ब्लॉक के राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा. उन्होंने यह भी माना कि झामुमो एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई है और वह कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
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