पानी से लेकर संस्कृति तक विकास से लेकर विरासत तक. गजेंद्र सिंह शेखावत जी का सफर जमीन से जुड़ा रहा है. लोगों के बीच रहा है. और हम सबको बहुत गर्व है कि भारत की जो पहचान है दुनिया भर में वो संस्कृति उसकी विरासत से जुड़ा हुआ है, और उसी को आगे ले जाने का काम गजेंद्र सिंह शेखावत जी के कंधों पर है. इस बातचीत में इसी सफर को समझेंगे. कि वो कैसे इतना ट्रैवल कर पाते हैं? कैसे इतना एक्सटेंसिव जो काम है क्योंकि ये बहुत एक्सटेंसिव लेवल पर इसको अभी करने की जरूरत है.
एक स्काई स्कैनर कल्चर टूरिज्म रिपोर्ट 2025 इसके मुख्य बिंदु हैं. 82% भारतीय हैं जो अपनी यात्राएं, संस्कृति और परंपराओं को ध्यान में रखकर अब कर रहे हैं. साथ में 76% यात्री हैं जो तारीख बदल देते हैं कि अगर कोई इवेंट बड़ा त्यौहार आ रहा है. इसके साथ-साथ 76% फॉरेनर्स हैं वो भारत तब आते हैं जब बड़े फेस्टिवल्स हो रहे हैं. इसका मतलब हम इकोनॉमिक टूरिज्म पे जाएंगे सीधा-सीधा कि किस तरीके से ये जो इकोनमिक टूरिज्म को आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन इसमें क्या चुनौतियां हैं?
लेकिन इस रिपोर्ट के लिहाज से आंकड़े बहुत ज्यादा हैं. सभी की नजर अगर अभी नवरात्र शुरू है तो सबकी नजरलक पे है. होली होती है तो सब बरसाना जाना चाहते हैं. दिवाली होती है तो अयोध्या जाना चाहते हैं और कोई क्राफ्ट फेस्टिवल होता है. तमाम चीजें होती है तो जयपुर भी आना चाहते हैं. कैसे देखते हैं सर इसे आप?
हर स्थान की एक महत्वता और विशेषता है
मुझे लगता है यह सहज स्वाभाविक है. हर एक स्थान की अपनी एक महत्ता है और अपनी एक विशेषता है. हर स्थान का अपना एक विशेष प्रसंग है उसके साथ में जुड़ा हुआ. उस समय पर अधिकतम लोग वहां जाएं यह स्वाभाविक है और केवल भारत के परिपेक्ष में नहीं है. पूरे विश्व के परिपेक्ष में है. ब्राजील में जब सांबा फेस्टिवल होता है तब ब्राजील में अधिकतम टूरिज्म पीक पर होता है.
वहां स्पेन में जब टोमेटिनो फेस्टिवल होता है तब वहां पीक पर होता है. स्टॉकहोम में जब इस जो वाटर बेस इवेंट होते हैं तब वहां टूरिज्म पीक पर होता है. भारत में भी निश्चित रूप से जब जिस जगह पर जिस एक बड़ा कार्यक्रम या बड़ा आयोजन जो होता है जो ट्रेडिशनली कई वर्षों से और भारत के परिपेक्ष में तो कई शताब्दियों से हो रहा है. तो स्वाभाविक है वहां उसको लेकर के उस समय पर फुटफॉल बढ़ता ही है.
उन्होंने कहा कि लेकिन भारत सरकार के टूरिज्म मिनिस्ट्री का फोकस इस विषय को लेकर के है कि केवल टूरिज्म हमारा सीजन स्पेसिफिक या इवेंट स्पेसिफिक ना रहे. हम देश में ईयर अराउंड डेस्टिनेशन भारत को कैसे बना सकते हैं? अभी अगर इनबाउंड टूरिस्ट के दृष्टिकोण से देखें, विदेश से जो सैलानी आते हैं उसके दृष्टिकोण से देखें तो भारत अक्टूबर से लेकर के और फरवरी तक मार्च तक ये छ महीने के टूरिस्ट का टूरिज्म का डेस्टिनेशन बिकॉज़ ऑफ द एडवर्सिटीज ऑफ द वेदर. भारत में कंपैरेटिवली बहुत कम संख्या हो जाती है. इसको हम कैसे परिवर्तित कर सकते हैं और इसको वर्ष पर्यंत पर्यटन का केंद्र भारत बने इस पर भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय अभी राज्यों के साथ में मिलकर के काम कर रहा है.
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टूरिज्म को हम किस तरह से नई अपॉर्चुनिटीज के साथ में जोड़ें?
उन्होंने कहा कि टूरिज्म को हम किस तरह से नई अपॉर्चुनिटीज के साथ में जोड़ें? नई ऑफरिंग्स के साथ में जोड़ें, नए एक्सपीरियंस किस तरह से हम क्रिएट करें, इसके ऊपर भी हम लगातार काम कर रहे हैं. और मुझे लगता है कि इन सब को करने के चलते हुए हम टूरिस्ट को जो है ज्यादा दिन तक रोक सकें और ज्यादा लंबे समय तक टूरिस्ट को भारत में बुला सकें. चाहे देसी पहलाानी हो, चाहे विदेशी सैलानी हो, उनके लिए ज्यादा लंबी विंडो क्रिएट कर सके. इस पर हम काम कर रहे हैं.
विश्व धरोहर सूची में इंस्क्राइब कराने में कामयाब हुए हैं
देखिए भारत दुनिया में प्रमुख पंक्ति में खड़े हुए देशों में से एक है जिसके पास में सबसे ज्यादा विश्व की धरोहर है सूचीबद्ध है. नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद में लगातार हर वर्ष हम भारत में एक धरोहर को क्योंकि एक ही धरोहर को एक बार में इंस्क्राइब कराया जा सकता है. हम कराने में सफल हुए हैं. और इस बार भी हमने आप सब की जानकारी में आया होगा महाराष्ट्र के जो मराठा मिलिट्री प्रोविटी फर्ट्रेसेस थे ऐसे 12 किले 11 महाराष्ट्र में और एक तमिलनाडु में उनको हम विश्व धरोहर सूची में इंस्क्राइब कराने में कामयाब हुए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष में हम आसाम के मोहदाम्स को कराने में कामयाब हुए थे. टेंजिबल और इनटेंजिबल हेरिटेज को हम इस तरह से विश्व के धरोहर सूची में रजिस्टर करा सके. इस दृष्टिकोण से जो एक और अपॉर्चुनिटी है कि हम मल्टीपल कंट्रीज एक साथ किसी एक विषय को लेकर के और इंस्क्राइब कराने के लिए काम करें. चाहे वो टेंजिबल हेरिटेज हो, इनटेंजिबल हेरिटेज हो. क्योंकि उसमें साल में एक ही करा सकते हैं.
यह सीमा लागू नहीं होती. तो अभी हमने ईरान के साथ में, बांग्लादेश के साथ में, भारत और ऐसे सब देशों ने मिलकर के मेहंदी जो महिलाएं लगाती हैं हमारे यहां जिसको श्रृंगार माना जाता है उसको हमने वर्ल्ड हेरिटेज में इंक्राइब कराया. इसके अतिरिक्त हमारी जो लिखित धरोहर है, उसको भी वर्ल्ड मेमोरी रजिस्टर में यूनेस्को के सूचीबद्ध कराने में हमको सफलता मिली. इस बार भी जो है नाट्यशास्त्र उसमें हम सूचीबद्ध करा सके. और ऐसी एक लंबी पंक्ति भगवत गीता से लेकर के जो हम आज तक उसमें जोड़ पाए.
भारत अपनी संस्कृति के बिहाफ पर रिश्ते बनाता है इस फेज का मतलब क्या है?
माननीय प्रधानमंत्री जी ने अनेक बार कहा भारत बुद्ध का देश है. हमने दुनिया को बुद्ध दिया है. युद्ध नहीं दिया है. और भारत की जो संस्कृति की जो गहराई है डेप्थ ऑफ द कल्चर वो भारत की बहुत बड़ी ताकत है. भारत की संस्कृति की जो विस्तार है जो विविधता है डायवर्स ऑफ कल्चर वो भी भारत की बहुत बड़ी ताकत है. इस ताकत के आधार पर हम दुनिया को भारत के प्रति आकर्षित कर सकते हैं.
दुर्भाग्य से पहले भारत की छवि पूरे विश्वभर में एक निर्धन देश के रूप में थी. एक देश जहां पर सामान्य मूलभूत आवश्यकताओं के लिए लोग चुनौती से जूझ रहे हैं. इतने सालों से दशकों से जूझ रहे हैं. ऐसी छवि थी. भारत की छवि गंदगी से हटे हुए देश की तरह थी. कनेक्टिविटी जिस देश में ठीक नहीं है.
ऐसे देश की थी. पिछले 11 साल में सम्मानीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की छवि दुनिया के निगाह में बदली है. द स्पीड एंड द स्केल ऑन व्हाट हमने डेवलपमेंट किया है. उसको लेकर के पूरी दुनिया चमत्कृत है. हतप्रब है. और भारत की इस विकास की गति और विकास की दर इन दोनों को देखकर के उसके साथ में भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण जिस तरह से पिछले वर्षों में हुआ है. भारत की तरफ देखने का दृष्टिकोण पूरे विश्व का पिछले 11 साल में बदल गया है.
भारत की आइडेंटिटी गांधी जी के साथ में समाप्त हो गई थी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आपके दर्शकों में से बहुत सारे लोग ऐसे होते होंगे जिनको विदेश जाने के अनेक अवसर मिले होंगे. मिलते रहे होंगे. पिछले दशकों से मिलते रहे होंगे. मैं जब व्यापार व्यवसाय करता था दुनिया के दूसरे देशों में जाते थे. सामान्यत लोग अपने आप को भारतीय बताने में अपनी पहचान भारतीय के रूप में कराने में झिझक महसूस करते थे.
यदि कोई कराता भी था तो बहुत सोच करके कोई कहता था इंडिया ओ मिस्टर गांधी भारत की आइडेंटिटी गांधी जी के साथ में समाप्त हो गई थी. लेकिन आज आप दुनिया के किसी भी देश में जाकर के अपने आप को भारतीय के रूप में इंट्रोड्यूस करा दीजिए वो या तो कहेगा ओ मिस्टर मोदी और फिर भारत की सफलताएं जो भारत ने जीवन की हर विधा में अर्जित की है उसके बारे में कहीं ना कहीं एंडोर्स करेगा.
उन्होंने कहा कि आज भारतीय गर्व कर सकता है कि वह भारतीय इस दृष्टिकोण से जो हमारे भारत को देखने का नजरिया पूरे विश्व का बदला है. तो हमारी संस्कृति हमारी ताकत है और हमारी संस्कृति हम एक सांस्कृतिक राष्ट्र के रूप में पहचाने जाएं. यह माननीय प्रधानमंत्री जी का हमेशा ही जो है यह एजेंडा किसी भी विदेश के दौरे पर या विदेशी अतिथि के आगमन पर रहता है. संस्कृति और साथ में ट्रेड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक यह भी है कि एमओयूस हो, ट्रेड हो, एक्सचेंज हो.
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