Bangladesh Election 2025: बांग्लादेश में पिछले एक साल से राजनीतिक उथल-पुथल जारी है. शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद लग रहा था कि उनकी पार्टी आवामी लीग पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएगी, लेकिन ताजा घटनाक्रम कुछ और ही तस्वीर दिखा रहा है. अब जब देश में आम चुनाव की आहट तेज हो चुकी है, तो आवामी लीग के कार्यकर्ता दोबारा मैदान में उतरने लगे हैं.
5 अगस्त 2024 को भारी जनविरोध और राजनीतिक दबाव के चलते शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. इसके तुरंत बाद वह भारत चली गईं और तब से वहीं निर्वासित जीवन बिता रही हैं. लेकिन देश से बाहर होने के बावजूद उन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ कमजोर नहीं होने दी.
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पकड़ मजबूत
आवामी लीग के नेताओं ने टेलीग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म को अपनी गतिविधियों का आधार बना लिया है. टेलीग्राम पर जिलों के हिसाब से बनाए गए ग्रुप्स के जरिए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए जा रहे हैं. मुख्य टेलीग्राम अकाउंट पर करीब 1 लाख फॉलोअर्स हैं, और रोजाना यूनुस सरकार और कट्टरपंथी गुटों के खिलाफ पोस्ट किए जा रहे हैं. इन अकाउंट्स की मॉनिटरिंग ब्रिटेन से की जा रही है, जहां हाल ही में पूर्व मंत्रियों की एक बैठक भी हुई थी.
वर्चुअल माध्यम से कार्यकर्ताओं से संवाद
शेख हसीना नियमित तौर पर वीडियो कॉल्स और रिकॉर्डेड संदेशों के माध्यम से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से संपर्क में हैं. अप्रैल 2024 में उन्होंने एक वीडियो में बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि देश में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है, खासकर यौन हिंसा के मामलों को लेकर.
ग्राउंड पर गुप्त बैठकें और पुलिसिया शिकंजा
ढाका सहित कई जिलों में आवामी लीग के कार्यकर्ता गुप्त बैठकों का आयोजन कर रहे हैं. 31 जुलाई को ढाका में ऐसी ही एक बैठक की सूचना पर पुलिस ने छापा मारा और 22 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, पिछले एक साल में आवामी लीग के 96,000 कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें से करीब 16,000 गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
मजबूत क्षेत्रों में खुला विरोध प्रदर्शन
जहां-जहां आवामी लीग का जनाधार मजबूत है, वहां कार्यकर्ता अब सड़क पर उतरने लगे हैं. 16 जुलाई को गोपालगंज में आवामी समर्थकों ने नाहिद इस्लाम की पार्टी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किया, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई और पुलिस की गाड़ी भी जला दी गई. यह घटनाएं बताती हैं कि पार्टी का जमीनी तंत्र अभी भी सक्रिय है.
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