उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जिले के एक मान्यता प्राप्त मदरसे जामिया गाजिया सैयदुलुलुम में हुए औचक निरीक्षण में जो तस्वीर सामने आई, वह चौंकाने के साथ-साथ सोचने पर मजबूर भी करती है. इस मामले ने एक बार फिर मदरसों की मौजूदा स्थिति पर कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं.
10वीं का एक भी छात्र अंग्रेजी में नहीं लिख पाया नाम
निरीक्षण के दौरान कक्षा 10वीं के छात्रों से जब अंग्रेजी में अपना नाम और संस्थान का नाम लिखने को कहा गया, तो एक भी छात्र ऐसा नहीं कर पाया. इस स्थिति को देखते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्र ने मदरसे के संचालक को नोटिस जारी किया और सुधार के निर्देश दिए.
छात्रों को आधुनिक विषयों की शिक्षा भी मिले
निरीक्षण में यह भी पाया गया कि मदरसे में मौलवी, मुंशी और आलिम की कक्षाओं में छात्र उपस्थिति की संख्या रजिस्ट्रेशन के मुकाबले काफी कम थी. वहीं एक अध्यापक की गैरमौजूदगी भी सामने आई, जिसकी रजिस्टर में कोई प्रविष्टि तक नहीं थी.
अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केवल अरबी और फारसी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय छात्रों को आधुनिक विषयों जैसे गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और हिंदी की शिक्षा भी दी जानी चाहिए, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
मदरसे के प्रभारी ने दी सफाई
इस संबंध में मदरसे के प्रभारी प्रधानाचार्य मौलाना शमसुद्दीन ने सफाई दी कि जिन छात्रों से प्रश्न पूछे गए थे, उनका हाल में ही एडमिशन हुआ है और उनकी अंग्रेजी कमजोर है. उन्होंने बताया कि अब कमजोर छात्रों के लिए अलग से कक्षाएं चलाई जाएंगी और अध्यापकों के लिए एक नियमित समयसारणी भी लागू कर दी गई है. उन्होंने यह भी बताया कि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू होने के बाद से मदरसा सभी विषयों पर ध्यान देना शुरू कर चुका है, ताकि छात्रों को भविष्य में बेहतर अवसर मिल सकें.
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