सावन या श्रावण का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र समय होता है. इस महीने को लेकर भक्तों में विशेष श्रद्धा होती है, और वे पारंपरिक रूप से उपवास रखते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं और अपने आहार में बदलाव लाते हैं. खासकर इस समय में शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करने की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह सिर्फ एक धार्मिक प्रथा नहीं, बल्कि इसका वैज्ञानिक और स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है. आइए जानते हैं कि क्यों सावन के महीने में इन चीजों से बचना बेहतर होता है.
स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्यों जरूरी है मांसाहारी भोजन और शराब से बचना?
सावन का महीना आमतौर पर मानसून के समय में आता है, जब मौसम बदलता है और बारिश के कारण वातावरण में नमी और ठंडक बढ़ जाती है. आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. ऐसे में शराब और मांसाहारी भोजन के सेवन से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
1. शराब और पाचन संबंधी समस्याएं
शराब को आयुर्वेद में ‘गर्म’ और ‘अम्लीय’ माना जाता है. मानसून के दौरान जब पाचन क्रिया पहले से ही धीमी होती है, शराब इसका और अधिक नुकसान कर सकती है. इससे पेट में गैस, अपच और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, शराब शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकती है, खासकर जब वातावरण में नमी और गर्मी बढ़ी हो, जिससे डिहाईड्रेशन हो सकता है.
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर
इस मौसम में वायरल संक्रमण और मौसमी बीमारियां बढ़ने का खतरा रहता है. शराब का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे व्यक्ति इन बीमारियों का शिकार आसानी से हो सकता है. इसलिए, सावन में शराब से दूर रहना स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
मांसाहारी भोजन का सेवन क्यों नहीं?
मानसून में मांसाहारी भोजन के सेवन से भी परहेज करने की सलाह दी जाती है. इसका प्रमुख कारण यह है कि इस समय मांस में जैविक परिवर्तन होते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता और पोषण में गिरावट आ जाती है. मानसून के मौसम में मांसाहारी भोजन खाने से खाद्य जनित संक्रमण और पेट संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं. आयुर्वेद में भी यह बताया गया है कि इस मौसम में हल्का, शाकाहारी भोजन करना चाहिए, जो पचने में आसान हो और शरीर को स्वस्थ बनाए रखे.
1. मांसाहारी भोजन की पाचन क्रिया पर असर
मांसाहारी भोजन तामसिक श्रेणी में आता है, जो पाचन में कठिन होता है और शरीर पर अतिरिक्त बोझ डालता है. इससे एसिडिटी, पेट फूलना और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. विशेष रूप से उन लोगों के लिए, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कमजोर हो, मांसाहारी भोजन अधिक हानिकारक साबित हो सकता है.
2. मांसाहारी भोजन और संक्रामक रोग
इस दौरान मछलियों के प्रजनन का समय होता है, और मांसाहारी भोजन में उनकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है. इसके अलावा, मांसाहारी भोजन में संक्रमण और परजीवियों का खतरा बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
धार्मिक कारण: शराब और मांसाहारी भोजन से दूर रहना क्यों जरूरी है?
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, और इस समय को तपस्या, आत्म-नियंत्रण और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. भगवान शिव को 'भोलेनाथ' कहा जाता है, जो सरल और सात्विक जीवनशैली को पसंद करते हैं. इस पवित्र महीने में शराब और मांसाहारी भोजन जैसे 'तामसिक' पदार्थों से बचने की परंपरा इसलिए है, ताकि भक्त अपनी आंतरिक शुद्धता और मानसिक शांति को बनाए रख सकें.
1. आध्यात्मिक उन्नति
सावन का महीना आत्म-नियंत्रण और मानसिक शांति की ओर बढ़ने का समय होता है. शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करने से भक्त अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना सीखते हैं, जो उनकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है. इस महीने में साधक मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति के लिए अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव लाते हैं.
2. गंगाजल और शुद्धि का महत्व
सावन के महीने में गंगाजल का विशेष महत्व होता है. लोग इस समय पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. शराब और मांसाहारी भोजन का सेवन इस पवित्रता और शुद्धता के माहौल के विपरीत होता है. इसलिए, इस महीने में इनसे दूर रहकर भक्त अपनी शुद्धि और मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं.
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