नई दिल्ली:अभिनेता और संवाददाता रहे अनुपम खेर ने हाल ही में अभिनेता संग फिल्म निर्माण को लेकर दिलजीत दोसांझ की आलोचना की, जिन्होंने पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर के साथ फिल्म ‘सरदार जी 3’ में काम किया है. अनुपम ने कहा कि वे खुद ऐसी कोई फ़िल्म करने की “हिम्मत” नहीं रख सकते.
हक है, लेकिन मैं शायद न करूँ- अनुपम
एनडीटीवी के साथ बातचीत में अनुपम ने शुरूआती तौर पर कहा कि दिलजीत का यह कदम उनके संविधानिक अधिकार के अंतर्गत है, जिसे उन्हें सम्मान और स्वीकृति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, "वह उनका मौलिक अधिकार है… लेकिन मैं अपने नजरिए से कह सकता हूं कि मैं शायद ऐसा न करूं."
अनुपम ने यह भी स्पष्ट किया कि वे दिलजीत के फैसले का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि खुद के व्यक्तिगत दृष्टिकोण से यह स्वीकार्य नहीं लगता.
मैं तो हिम्मत नहीं कर सकता- अनुपम
अग्रिम उदाहरण देते हुए अनुपम ने कहा कि अगर किसी कलाकार ने आपके परिवार के प्रति हिंसा की हो, तब चाहे वह कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, आप उसे घर पर बिठाने का हक नहीं दे पाएंगे:
उन्होंने कहा, "मैं तो तबला बजाने की भी हिम्मत नहीं कर सकता… मेरे में इतनी महानता नहीं है कि मैं आर्ट के लिए अपने घर वालों को पिटते देख सकूं. अपनी बहन का सिंदूर लुटते देख सकूं."
उनका तर्क है कि कला की स्वतंत्रता की सीमा वहाँ बनती है जहाँ यह व्यक्तिगत सम्मान और सुरक्षा पर चोट पहुँचाती हो.
पहलगाम हमले के बाद का नया परिप्रेक्ष्य
दिलजीत दोसांझ ने ‘सरदार जी 3’ की शूटिंग फिलहाल ओवरसीज़ रिलीज के लिए पूरी की है. यह कदम पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों पर लगाए गए निर्बंध को एक बार फिर संदर्भित करते हुए उठाया गया है. मेकर्स का कहना है कि फिल्म पहले से तैयार थी और उसे तब रिलीज करना चाहिए जब उसे एक विकल्प चुनना पड़े—यह बॉलीवुड तक सीमित न रहे और किसी की भावनाएँ आहत न हों.
देशभक्ति के बीच संतुलन ढूँढना मुश्किल
हालांकि मजबूरियों की बड़ी वजह आर्थिक निवेश है, लेकिन भारत में इस फिल्म को लेकर पुरजोर आलोचना भी जारी है. कुछ लोग पार्टीबद्ध होकर इसे देशद्रोह तक मान रहे हैं और दिलजीत पर भारत में प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं. वहीं अनुपम खेर जैसे कलाकार इसके पक्षधर हैं जो कला की स्वतंत्रता की आवाज़ सुनाते हैं, मगर साथ ही कानून-व्यक्तिगत सीमाओं की भी सीमा रखते हैं.
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