Rajasthan: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा के माध्यम से प्रशासनिक व्यवस्था को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाकर यह सिद्ध कर दिया है कि जब शासन में संवेदना होती है, तो सेवा महज़ एक शब्द नहीं, बल्कि संकल्प बन जाती है.
24 जून से प्रारंभ यह अभियान मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की उस सोच का परिणाम है जिसमें विकास का केंद्र समाज का सबसे कमजोर, सबसे पिछड़ा और सबसे ज़रूरतमंद व्यक्ति है. सरकार का उद्देश्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि उस अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना है जिसे दशकों से सिर्फ आश्वासन मिले थे, अधिकार नहीं.
भजनलाल सरकार की नीयत अंतिम व्यक्ति का उद्धार
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार आज उस राह पर चल रही है जिसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ‘अन्त्योदय’ के रूप में परिभाषित किया था. जिसका कोई नहीं, उसके साथ सरकार खड़ी हो. यही कारण है कि यह पखवाड़ा एक प्रशासनिक पहल न होकर एक नैतिक और मानवीय आंदोलन बन गया है.
राजस्व प्रकरणों से लेकर स्वामित्व पट्टों तक, पेयजल व्यवस्था से लेकर पशु स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर ऊर्जा तक—हर विभाग ने जब जमीन पर उतरकर सेवा दी, तो जनता ने पहली बार महसूस किया कि सरकार उनके द्वार पर है, उनकी भाषा बोल रही है और उनकी पीड़ा समझ रही है.
सेवा वहां पहुंची जहां सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी
राज्य के हज़ारों गांवों में जब एक ही स्थान पर 18 विभागों की 75 सेवाएँ उपलब्ध करवाई गईं, तो वह दृश्य केवल एक सरकारी शिविर नहीं था. वह सरकार और समाज के बीच विश्वास का मंच बन गया. ग्रामीण अब अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काट रहे, क्योंकि समाधान उनके दरवाज़े पर है.
भजनलाल सरकार का दृष्टिकोण बदलाव का प्रतीक
यह पखवाड़ा केवल सेवाओं का मेल नहीं, बल्कि शासन की उस मानसिकता का प्रतीक है जो काग़ज़ों की फाइलों से निकलकर ज़मीन पर चलती है. यह दर्शाता है कि सरकार अगर चाहे, तो वर्षों से लटके हजारों प्रकरण महज़ कुछ दिनों में निस्तारित हो सकते हैं; अगर इच्छाशक्ति हो, तो नामांतरण, सीमाज्ञान, बिजली की व्यवस्था, पानी की सुविधा और पशुधन की रक्षा एक साथ संभव है.
एक सशक्त, समर्पित और संवेदनशील सरकार की पहचान
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा के जरिए भजनलाल सरकार ने यह दिखाया है कि राज्य शासन का चेहरा कठोर नहीं, करुणामयी हो सकता है. यह पहल उस नए राजस्थान की बुनियाद रख रही है जहां विकास किसी एक वर्ग के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो दशकों से हाशिए पर खड़ा था. आज जब हर ग्राम पंचायत में शिविर लग रहे हैं, समाधान हो रहे हैं और मुस्कुराहटें लौट रही हैं, तो यह केवल योजनाओं का परिणाम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकल्प, नैतिक दायित्व और मानवीय प्रतिबद्धता की विजय है.
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