ढीली हो गई अमेरिका की अकड़! खराब रिश्तों पर कहा- चीन से ज्यादा हमारे करीब है भारत; क्या सुधरेगा रिश्ता?

    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तियानजिन सम्मेलन के ठीक बाद अमेरिका की ओर से भारत को लेकर एक अहम बयान सामने आया है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की विचारधारा और लोकतांत्रिक मूल्य चीन नहीं, बल्कि अमेरिका के अधिक करीब हैं.

    America Minister scott bessent remarks on india and america relations
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    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तियानजिन सम्मेलन के ठीक बाद अमेरिका की ओर से भारत को लेकर एक अहम बयान सामने आया है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की विचारधारा और लोकतांत्रिक मूल्य चीन नहीं, बल्कि अमेरिका के अधिक करीब हैं. उनके मुताबिक, SCO जैसी बैठकें अधिकतर "दिखावटी" होती हैं और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए अमेरिका ही स्वाभाविक साझेदार है.


    यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच तियानजिन में एक त्रिपक्षीय मुलाकात हुई, जिसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी ध्यान खींचा. हालांकि भारत ने सीधे तौर पर रूस का समर्थन नहीं किया, लेकिन बैठक की गर्मजोशी और सामूहिक तस्वीरों ने पश्चिमी देशों में चिंता बढ़ा दी.

    SCO को बताया प्रोपेगेंडा प्लेटफॉर्म

    स्कॉट बेसेन्ट ने SCO पर सवाल उठाते हुए कहा, यह शंघाई सहयोग संगठन नाम की एक पुरानी बैठक है, जो अब महज एक प्रचार का माध्यम बन गई है. भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, उसकी वास्तविक साझेदारी चीन या रूस के साथ नहीं बल्कि अमेरिका के साथ होनी चाहिए. बेसेन्ट ने भरोसा जताया कि भारत और अमेरिका के बीच जो व्यापारिक तनाव है, वह अंततः दो "महान लोकतंत्रों" के बीच सुलझा लिया जाएगा.

    रूस से सस्ते तेल की खरीद पर अमेरिका की नज़र

    हालांकि भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सकारात्मक रुख दिखाते हुए भी बेसेन्ट ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत की आलोचना की. उनका कहना था कि भारत रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदता है, उसे रिफाइन करता है और फिर यूरोपीय बाजारों में ऊंचे दाम पर बेचता है. अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि यह मुनाफा अप्रत्यक्ष रूप से रूस के युद्ध प्रयासों को फंड करता है. बेसेन्ट के मुताबिक, "यूक्रेन युद्ध से पहले भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी, लेकिन अब यह 40% से अधिक हो चुकी है. इससे भारत को लगभग 16 अरब डॉलर का अतिरिक्त लाभ हुआ है."

    ट्रंप प्रशासन की नीति और टैरिफ की सख्ती

    बेसेन्ट ने यह भी बताया कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी कारण भारत पर अगस्त 2024 में 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिए थे. जबकि चीन पर ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि वह पहले से ही रूस का बड़ा खरीदार था. इस टैरिफ के पीछे मुख्य वजह रूसी तेल पर भारत की निर्भरता, धीमी व्यापार वार्ता और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की स्पष्ट स्थिति रही है.

    समाधान की उम्मीद फिर भी कायम

    बावजूद इसके, स्कॉट बेसेन्ट ने माना कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे संबंध हैं, जिससे व्यापारिक विवादों को हल करने की उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ मजबूत और दीर्घकालिक रणनीतिक संबंध बनाना चाहता है.

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