वॉशिंगटन/नई दिल्ली: भारत द्वारा हाल ही में किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान पाकिस्तान को हुए सैन्य नुकसान को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस ऑपरेशन के बाद भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एक अहम खुलासा करते हुए दावा किया कि पाकिस्तान ने इस संघर्ष के दौरान अपने पांच लड़ाकू विमान गंवाए, जिनमें दो अमेरिकी निर्मित F-16 विमान भी शामिल थे.
भारत के इस दावे के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक था कि क्या अमेरिका को इस नुकसान की जानकारी थी, और क्या वह इस पर कोई टिप्पणी करेगा? जब इसी मुद्दे पर एक प्रतिष्ठित मीडिया हाउस ने अमेरिकी विदेश विभाग से प्रतिक्रिया मांगी, तो वहां से टालने वाला जवाब मिला—अमेरिका ने इस पूरे मामले पर बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि इस बारे में जानकारी के लिए पाकिस्तान सरकार से संपर्क किया जाए.
F-16 विमानों पर अमेरिका की निगरानी
यह चुप्पी साधारण नहीं है, खासतौर पर तब जब यह ज्ञात हो कि अमेरिका पाकिस्तान को दिए गए F-16 विमानों की स्थिति की नियमित निगरानी करता है. अमेरिका और पाकिस्तान के बीच F-16 कार्यक्रम को लेकर जो "एंड-यूज़र एग्रीमेंट" हुआ है, उसके तहत तकनीकी सहायता दल (Technical Support Teams - TSTs) या अमेरिकी रक्षा कॉन्ट्रैक्टर्स पाकिस्तान में तैनात रहते हैं. इनका काम है विमानों की स्थिति, संचालन और उनके इस्तेमाल की निगरानी करना.
इन TST सदस्यों को हर समय पाकिस्तान के F-16 बेड़े की स्थिति की जानकारी होनी चाहिए. ये विशेषज्ञ चौबीसों घंटे विमान के रखरखाव, प्रदर्शन और मरम्मत से संबंधित रिपोर्ट तैयार करते हैं. इसलिए, यदि दो F-16 वास्तव में नष्ट हुए हैं, तो इसकी जानकारी अमेरिका को निश्चित रूप से होनी चाहिए थी.
रणनीतिक मजबूरियां या कूटनीतिक संतुलन?
अमेरिका का पाकिस्तान के F-16 नुकसान पर टिप्पणी करने से इनकार करना यह संकेत देता है कि वह इस संवेदनशील मामले पर कूटनीतिक चुप्पी बनाए रखना चाहता है. यह चुप्पी कई कारणों से हो सकती है:
भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंधों का संतुलन: अमेरिका दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक स्थिरता बनाए रखने की कोशिश करता है. वह भारत के साथ सैन्य और तकनीकी साझेदारी को गहरा कर रहा है, वहीं पाकिस्तान से भी उसे अफगानिस्तान और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की अपेक्षा रहती है.
F-16 डील की शर्तें: पाकिस्तान को F-16 देने के लिए अमेरिका ने सख्त शर्तें तय की थीं जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि इन विमानों का उपयोग केवल आतंकरोधी अभियानों में किया जाएगा. यदि ये विमान भारत के खिलाफ उपयोग हुए और नष्ट हुए, तो यह उन शर्तों का उल्लंघन हो सकता है जिससे अमेरिका को असहज स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
अंतरराष्ट्रीय छवि का सवाल: यदि अमेरिका खुलकर माने कि उसके बनाए हुए लड़ाकू विमान भारतीय कार्रवाई में नष्ट हुए हैं, तो यह अमेरिका की रक्षा निर्यात छवि के लिए भी झटका हो सकता है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सख्त जवाबी कार्रवाई
भारत द्वारा 7 से 10 मई 2025 के बीच चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर एक बहुआयामी सैन्य अभियान था, जो कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया. इस हमले में भारत के कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और इसके पीछे पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ होने के सबूत मिले थे.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने 88 घंटों तक पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों, स्मार्ट बमों और अत्याधुनिक ड्रोन तकनीकों का प्रयोग कर आतंकियों के अड्डों, ट्रेनिंग सेंटरों और लॉजिस्टिक सपोर्ट बेस को तबाह किया.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना ने न सिर्फ उन हमलों को नाकाम किया बल्कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई प्रमुख सैन्य ठिकानों को भी भारी नुकसान पहुँचाया. इनमें सुक्कुर, जैकोबाबाद, सरगोधा, स्कार्दू जैसे एयरबेस प्रमुख रूप से शामिल थे.
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