सुबह हाथ मिलाते हैं रात में छुरा घोंप देते हैं ट्रंप, भारत पर टैरिफ लगाने पर भड़का अमेरिकी इकोनॉमिस्ट

    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर चर्चा में हैं. ट्रंप ने भारत और चीन जैसे देशों पर कड़ा रुख अपनाते हुए टैरिफ का नया खेल शुरू कर दिया है. भारत पर जहां उन्होंने 25% का आयात शुल्क लगाया है.

    America economist warn donald trump over tariff on india
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    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर चर्चा में हैं. ट्रंप ने भारत और चीन जैसे देशों पर कड़ा रुख अपनाते हुए टैरिफ का नया खेल शुरू कर दिया है. भारत पर जहां उन्होंने 25% का आयात शुल्क लगाया है, वहीं 27 अगस्त से एक अतिरिक्त 25% शुल्क भी लागू करने की तैयारी है.

    ट्रंप के इस कदम की चौतरफा आलोचना हो रही है. खास तौर पर अमेरिका के ही प्रख्यात अर्थशास्त्री और पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के सलाहकार रह चुके स्टीव हैंके ने इसे खतरनाक करार दिया है.

    ये तो शुरुआत है, आगे और बड़ा नुकसान होगा

    एक इंटरव्यू में हैंके ने ट्रंप की व्यापार नीति को ‘अस्थिर’ और ‘राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया कदम’ बताया. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत से दूरी और पाकिस्तान की ओर बढ़ता झुकाव अमेरिका की भू-राजनीतिक रणनीति को कमजोर कर सकता है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा – “ट्रंप वो व्यक्ति हैं जो सुबह भारत के प्रधानमंत्री से हाथ मिला सकते हैं, और रात में उन्हीं की पीठ में छुरा भी घोंप सकते हैं. भारत को यह समझना होगा कि अमेरिका की दोस्ती स्थायी नहीं होती."

    चीन से दबाव, पाकिस्तान से सौदेबाज़ी

    हैंके ने यह भी बताया कि चीन का खनन, धातु और वैज्ञानिक तकनीकों में दबदबा ट्रंप प्रशासन पर दबाव बना रहा है. शायद इसी कारण ट्रंप पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखा रहे हैं. हालांकि अर्थशास्त्री का मानना है कि यह फैसला आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक कारणों से लिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के फील्ड मार्शल हाल ही में दो बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं. इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अमेरिका, ईरान के खिलाफ किसी संभावित अभियान की तैयारी कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान को एक मोहरे के तौर पर देखा जा रहा है.

    "टैरिफ एक छिपा हुआ टैक्स है"

    स्टीव हैंके के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति असल में अमेरिकी उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ है. जब अमेरिका भारत जैसे देशों से उत्पाद खरीदता है, तो टैरिफ के कारण उन्हीं उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं और यह बोझ अंततः अमेरिकी जनता को ही उठाना पड़ता है. उनका मानना है कि डॉलर की गिरती ताकत और इन नीतियों की वजह से अमेरिका आर्थिक मंदी के कगार पर पहुंच चुका है.

    भारत को लेकर डिप्लोमैट्स के बयान भी विवादों में

    अमेरिकी राजनयिक पीटर नवारो ने हाल ही में भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिका से कमाए पैसों से रूसी तेल खरीदता है, उसे प्रोसेस करता है और मुनाफा कमाता है. यही नहीं, उन्होंने भारत को ‘रूस की वॉशिंग मशीन’ और ‘टैरिफ का महाराजा’ तक कह डाला.

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